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Tuesday, June 2, 2015

That Dimmed Shadows




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Hindi Poem – That Dimmed Shadows
This Hindi Poem highlights the pain and agony which the writer faced when She remembered Her past school mates and compare them with Her now.Due to the time Her dream crushes, due to that She is now not a very able person which she thought that she would be once. But Now She gathered the courage and try to do more so that Her Name will remain forever.
वो धुँधली सी परछाइयाँ ……… जो आज परेशां करती हैं ,
वो वक़्त की गहराइयाँ ………जो आज परेशां करती हैं ।
कोई शब्दों से करता बातें  ………… कोई अपने औहदे से हदों को नापे ,
कोई गिनवाता भौतिक सुखों को  ………कोई दिखाता अपनी सूरतों को  ।
वो वक़्त बेरहम था  ………जो उस वक़्त ने हमको मारा ,
ये वक़्त मेहरबाँ अब है  ………जो इस वक़्त ने हमारी कीमत को आँका ।
वो धुँधली सी परछाइयाँ ……… जो आज परेशां करती हैं ,
वो वक़्त की गहराइयाँ ………जो आज परेशां करती हैं ।
कोई कहे हमें हरजाई  ………कोई डरता संग से भी हमारे भाई ,
कोई पाना चाहे साथ…………कोई दूर से भी ना करे बात ।
ये वक़्त मेहरबाँ है …………जो इस वक़्त ने हमें सुधारा ,
ये वक़्त मेहरबाँ है …………जो इस वक़्त ने दिया सहारा ।
वो धुँधली सी परछाइयाँ ……… जो आज हमने है मिटाईं  ,
वो वक़्त की गहराइयाँ ………जो आज अपने दम पे है दिखाईं ।
वक़्त को बदल दे कोई भी  …………… जो उसके हौसले बुलंद हों ,
वक़्त को जीत ले कोई भी  …………… जो हौसलों में हरदम उमंग हो ।
अपने दम पर बढ़ने की  ………अब हमने भी है ठानी ,
क्या हुआ जो कभी रह गए थे पीछे  …………. फिर भी हार अब तक ना मानी ।
वो धुँधली सी परछाइयाँ ……… जो अपने विजय की हरदम गाथा गाएँ ,
वो वक़्त की गहराइयाँ ………जो हमें रोज़ है डराएँ ।
हम नीचे अब ना देखें  ……………. सिर्फ आसमाँ के तारों को गिनते जाएँ ,
अपने बीते वक़्त को अब  …………. सिर्फ चन्दा की रोशनी से हैं सज़ाएँ ।
वो वक़्त का दौर था  ………जो ज़ख्म देकर गुज़र गया ,
मगर ये भी वक़्त का ही दौर है  ……………. जो अपनी भूल पर बहुत जल्द सुधर गया ।
वो धुँधली सी परछाइयाँ ……… ना अब हमें डिगा पाएँ ,
वो वक़्त की गहराइयाँ ………देखो कितनी तेज़ी से है भरती जाएँ ।।

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