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Tuesday, June 2, 2015

Kaabliyat




This Hindi poem highlights the social issue of man’s ego when He tried to demoralize Her partner at each and every step of her success ,though Her spouse is a deserving one. As She knows that every time Her traits are crushed ,so She left each and every success of Her for His Beloved.
eyes-woman
Hindi Poem – Kaabliyat
गम इस बात का नहीं  ………. कि हममें क़ाबलियत नहीं ,
गम इस बात का है कि उनको ……… हमारी क़ाबलियत पसंद नहीं ।
जब भी कोई अनजाने में  ……… इस क़ाबलियत पर मुहर लगाता है ,
उनके अंतर्मन में जैसे कोई  …………. शोला तूफ़ान मचाता है ।
धीरे-धीरे उस शोले की गर्मी  ………. ज्वालामुखी बन फट जाती है ,
हमारी क़ाबलियत को कहीं  ……… रेत में धूमिल सा कर जाती है ।
गम इस बात का नहीं  ………. कि हममें क़ाबलियत नहीं ,
गम इस बात का है कि उनको ……… हमारी क़ाबलियत पसंद नहीं ।
हर बार हम अपने क़ाबिल होने पर  ………. मन में नए सपने सजाते हैं ,
हर बार वो आकर उन सपनो को  ………. पल में रौंद कर चले जाते हैं ।
एक खिलती हुई आशा को जब हम  …………. अपने अंदर बुझता सा पाते हैं ,
तब उनकी क़ाबलियत को ही  ………. अपनी नियति मान मुस्काते हैं ।
गम इस बात का नहीं  ………. कि हममें क़ाबलियत नहीं ,
गम इस बात का है कि उनको ……… हमारी क़ाबलियत पसंद नहीं ।
वो क़ाबिल हों हमेशा  ……… ऐसा ही ख्याल कभी  …… हमारे मन में भी आया था ,
पर उस क़ाबलियत में हमने कभी  ………. खुद के गिरने का  ……… सपना नहीं सजाया था ।
क़ाबलियत से ही अगर आँकी जाती है  ……… किसी के मन की सूरत ,
तब तो हर क़ाबिल इंसान देखो कहलाएगा  ………किसी जन्नत की मूरत ।
गम इस बात का नहीं  ………. कि हममें क़ाबलियत नहीं ,
गम इस बात का है कि उनको ……… हमारी क़ाबलियत पसंद नहीं ।
हममें क़ाबलियत की कोई परछाई गर  ……… अब रह गई है बाकी ,
तो उनके लिए उस परछाई की  ……… कीमत भी है हमने आँकी ।
बस नाकामयाबी की और बददुआओं से  …………. ना हमको अब नवाजो ,
जाओ छोड़ते हैं हम हर कामयाबी को तुम्हारे लिए  ………. अब ना दूर हमसे भागो ।
गम इस बात का नहीं  ………. कि हममें क़ाबलियत नहीं ,
गम इस बात का है कि उनको ……… हमारी क़ाबलियत पसंद नहीं ॥

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