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Tuesday, June 9, 2015

Mujhko Maykhaane Ki Masti Mein



This Hindi poem highlights the desire of a beloved wife in which She too wanted to accompany in a bar room with Her husband as She thought that there was something lacking in her life which Her husband was trying to search there.
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Hindi Love Poem – Mujhko Maykhaane Ki Masti Mein
मुझको मयख़ाने की मस्ती में  ………… अपने संग रँगने दे आज ,
जो कुछ है बाकी  …………. वो सब फिर से सँवरने दे आज ।

जिस मय को गले लगा  ……… तू समझता उसे अपनी दिलबर ,
उसी मय में मुझे समा  ………. और कह मैं हूँ तेरी सितमगर ।
मुझको मयख़ाने की मस्ती में  ………… अपने संग जलने दे आज ,
जो कुछ है बाकी  …………. वो सब फिर से सँवरने दे आज ।

तेरा मयख़ाना मुझसे ……… हर बार दगा करे ,
मैं जब भी मचलना चाहूँ  ………. ये तब ही गिला करे ।
मुझको मयख़ाने की मस्ती में  ………… अपने संग पिघलने दे आज ,
जो कुछ है बाकी  …………. वो सब फिर से सँवरने दे आज ।

तेरे पीने से गिला नहीं अब ……… खुद से मैं गिला करूँ  ,
कि क्यूँ ना जा सकी उस चौखट पे  ………. जिसे भरम कहूँ ।
मुझको मयख़ाने की मस्ती में  ………… अपने संग चलने दे आज ,
जो कुछ है बाकी  …………. वो सब फिर से सँवरने दे आज ।

तेरे मयख़ाने में सरगम है ……… वहाँ है हरियाली ,
उसकी चौखट को जो है छू ले  ………. वो बन जाए किस्मत वाली ।
मुझको मयख़ाने की मस्ती में  ………… अपने संग भिगो ले ना आज ,
जो कुछ है बाकी  …………. वो सब फिर से सँवरने दे आज ।

तेरा मयख़ाने में हर बार जाना मुझे ……… अक्सर करता है परेशाँ ,
कि ऐसा क्या है वहाँ पर  ………. जो मैं नहीं दे सकती हूँ तुम्हे यहाँ ।
मुझको मयख़ाने की मस्ती में  ………… अपने संग गिरने दे आज ,
जो कुछ है बाकी  …………. वो सब फिर से सँवरने दे आज ।

तेरा मयख़ाना गर है तेरी आज़ादी ……… तो मैं बाँध लूँ बेड़ी ,
कि मैं न पीकर वहाँ बहकूँगी   ………. चाहे तू समझ इसे एक पहेली ।
मुझको मयख़ाने की मस्ती में  ………… अपने संग सँभलने दे आज ,
जो कुछ है बाकी  …………. वो सब फिर से सँवरने दे आज ।

मैं बनना हरदम चाहूँ तेरी शराब ……… और तेरा एक मयख़ाना ,
जिसमे ख़तम ना हो कभी  ………. मेरे इश्क़ का अधूरा अफ़साना ।
मुझको मयख़ाने की मस्ती में  ………… अपने संग चढ़ने दे आज ,
जो कुछ है बाकी  …………. वो सब फिर से सँवरने दे आज ।।

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