This Hindi poem highlights the multiple personalities of a person that He adapted in His whole life span and acted like the same to spend His life . Through this poem ,the poetess also wants to indicate about the importance of this Human life where we changed our personalities and went on with the rewards and sins we earned in this life.
कभी ग़ालिब कभी गुलज़ार …………. हमारे अंदर समाता है ,
कभी एक अबला सी नारी का व्यक्तित्व ………. हमें झकझोर जाता है ,
कभी कोई वहशी पुरुष हमारे अंतर्मन में बसकर ………. बैठ जाता है ,
कभी किसी सन्यासी की भाँति ………. हमारा मन वैरागी हो जाता है ।
कभी एक अबला सी नारी का व्यक्तित्व ………. हमें झकझोर जाता है ,
कभी कोई वहशी पुरुष हमारे अंतर्मन में बसकर ………. बैठ जाता है ,
कभी किसी सन्यासी की भाँति ………. हमारा मन वैरागी हो जाता है ।
ये मनुष्य जीवन बड़ा ही मतवाला है ………. एक बार सोचो ना ,
जिसमे पल-प्रतिपल कई रूप धर ………. हम एक नई सीख लेते ना ।
जिसमे पल-प्रतिपल कई रूप धर ………. हम एक नई सीख लेते ना ।
कभी एक नेता बन …………. हम भी भाषण देने को हैं मचलते ,
कभी एक सैनिक बन ………. अपनी सीमाओं की रक्षा को हैं तड़पते ,
कभी एक अभिनेता बन ………. जीवन के रंगमंच पर सँवर जाते ,
कभी एक श्रोता बन ………. चुपचाप से मन ही मन सब हैं दोहराते ।
कभी एक सैनिक बन ………. अपनी सीमाओं की रक्षा को हैं तड़पते ,
कभी एक अभिनेता बन ………. जीवन के रंगमंच पर सँवर जाते ,
कभी एक श्रोता बन ………. चुपचाप से मन ही मन सब हैं दोहराते ।
ये मनुष्य जीवन बड़ा ही मतवाला है ………. एक बार सोचो ना ,
जिसमे अनेक रूप धर बनते हैं ………. हम भी रोज़ कुछ ना कुछ ना ।
जिसमे अनेक रूप धर बनते हैं ………. हम भी रोज़ कुछ ना कुछ ना ।
कभी खुद को एक बच्चा बना …………. किसी ज़िद पर अड़ जाते ,
कभी एक वृद्ध की भाँति अपने तजुर्बे से ………. खुद को समझाते ,
कभी एक अध्यापक बन चल पड़ते हैं ………. दुनिया को कुछ बताने ,
कभी एक वैज्ञानिक बन जुट जाते हैं ………. फिर नई कोई खोज यहाँ लाने ।
कभी एक वृद्ध की भाँति अपने तजुर्बे से ………. खुद को समझाते ,
कभी एक अध्यापक बन चल पड़ते हैं ………. दुनिया को कुछ बताने ,
कभी एक वैज्ञानिक बन जुट जाते हैं ………. फिर नई कोई खोज यहाँ लाने ।
ये मनुष्य जीवन बड़ा ही मतवाला है ………. एक बार सोचो ना ,
जिसमे हर रूप को अपने अंदर समाने की ………. कोशिश में रहते हैं हम ना ।
जिसमे हर रूप को अपने अंदर समाने की ………. कोशिश में रहते हैं हम ना ।
कभी खुद को एक युवा बना …………. अपने हाल ~ए~ दिल से खेलते ,
कभी एक मेहबूबा की भाँति नाज़ ~ओ~ नखरे ………. दूसरों के सहते ,
कभी जीवन की बारीकियाँ समझने को ………. नित नए संघर्ष करते ,
कभी छोड़ कर सब मोह-माया ……….केवल प्रभु का ध्यान धरते ।
कभी एक मेहबूबा की भाँति नाज़ ~ओ~ नखरे ………. दूसरों के सहते ,
कभी जीवन की बारीकियाँ समझने को ………. नित नए संघर्ष करते ,
कभी छोड़ कर सब मोह-माया ……….केवल प्रभु का ध्यान धरते ।
ये मनुष्य जीवन बड़ा ही मतवाला है ………. एक बार सोचो ना ,
जिसमे हम हार के भी जीतने की होड़ में ………. बँधे हैं देखो ना ।
जिसमे हम हार के भी जीतने की होड़ में ………. बँधे हैं देखो ना ।
कभी एक परिवार की भाँति …………. इस समाज से हम प्यार करते ,
कभी एक वैरागी की भाँति ………. फिर उसी समाज का हम त्याग करते ,
कभी बादल की तरह बिन बरसे ही ………. हम गरज के रह जाते ,
कभी आँधी और तूफ़ान की तरह ……….सब तहस-नहस सा कर जाते ।
कभी एक वैरागी की भाँति ………. फिर उसी समाज का हम त्याग करते ,
कभी बादल की तरह बिन बरसे ही ………. हम गरज के रह जाते ,
कभी आँधी और तूफ़ान की तरह ……….सब तहस-नहस सा कर जाते ।
ये मनुष्य जीवन बड़ा ही मतवाला है ………. एक बार सोचो ना ,
जिसमे हम पाप-पुण्यों के बोझ तले ………. इस जीवन को ढोते ना ।।
जिसमे हम पाप-पुण्यों के बोझ तले ………. इस जीवन को ढोते ना ।।
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