Pages

Tuesday, June 2, 2015

Copyright



This Hindi poem highlights the importance of “Copyright” in love where the beloved gained it from Her Lover and now She is eligible to write anything about their Love and Romance. Such Copyright seems to be an important part for a writer as without getting it one can’t explain Her intimate scenes publically.
lovers-hug
Hindi Love Poem – Copyright
कॉपीराइट तेरे इश्क़ का  …… मिल गया , मिल गया ,मिल गया ,
पाने पर उसको मेरे हुज़ूर  ……… दिल मेरा खिल गया ,खिल गया ।

कोई पैसे की चाहत करे  ………. कोई माँगे सनम से है नूर ,
मैं ना पैसा ही माँगूं सनम  ……… मैं तो खुद पर हूँ करती गुरूर ।
मुझे पैसे की चाहत नहीं  ………. मेरी चाहत तू कर दे मंजूर ,
कुछ लिखने को तेरे इश्क़ में  ……… मैं तो तड़पूँ यहीं बेक़सूर ।
कॉपीराइट तेरे इश्क़ का  …… मिल गया , मिल गया ,मिल गया ,
पाने पर उसको मेरे हुज़ूर  ……… दिल मेरा खिल गया ,खिल गया ।

तू ना बोला कुछ भी सनम  ………. मैं जो लिखती रही यहाँ हरदम ,
अपनी चाहत की गहराइयाँ  ……… अपने लफ़्ज़ों की मीठी कसम ।
कभी  मिलने की हर वो ख़ुशी ………. कभी बिछड़ने के सारे वो गम  ,
कभी वासनाओं में लिपटी शरम ……… कभी बहके हुए वो अपने कदम  ।
कॉपीराइट तेरे इश्क़ का  …… मिल गया , मिल गया ,मिल गया ,
पाने पर उसको मेरे हुज़ूर  ……… दिल मेरा खिल गया ,खिल गया ।

तू तो होने लगा बदनाम ………. मेरे लेखों को जब मिलती पहचान ,
मैं जो लिखती हूँ यहाँ पर सनम ……… उसमे होता नहीं तेरा नाम ।
फिर भी साँसें तो होती गरम ………. जब भी लिखती मैं तेरे करम  ,
मेरे संग थे बिताए जो क्षण  ……… मेरे संग थे जो अनकहे वचन ।
कॉपीराइट तेरे इश्क़ का  …… मिल गया , मिल गया ,मिल गया ,
पाने पर उसको मेरे हुज़ूर  ……… दिल मेरा खिल गया ,खिल गया ।

मुझे लगता था, ये कह तू रोक देगा ………. “ये क्या करती हो तुम ओ सनम” ?
क्यूँ ज़माने को करती खबर ……… क्यूँ बनती हो तुम बेशरम ?
मगर तेरे साथ ने सहारा दिया ………. मुझे और ज्यादा किया बेशरम  ,
मैं तो लिखने लगी हूँ अब देख  ……… तेरे-मेरे तन की वो तपती अगन ।
कॉपीराइट तेरे इश्क़ का  …… मिल गया , मिल गया ,मिल गया ,
पाने पर उसको मेरे हुज़ूर  ……… दिल मेरा खिल गया ,खिल गया ।

कोई दे देता है अपनी ये जान  ………. कोई करता अपना सब कुछ कुर्बान ,
इश्क़ की इस इबादत में  ……… लोग लैला-मजनू से बनते महान ,
तूने दिया है मुझे वो सनम ………. जिसकी चाहत करता था कब से ये मन ,
मेरे अंदर की आत्मा को ……… तेरे शब्दों से मिली अब एक तपन ।
कॉपीराइट तेरे इश्क़ का  …… मिल गया , मिल गया ,मिल गया ,
पाने पर उसको मेरे हुज़ूर  ……… दिल मेरा खिल गया ,खिल गया ।

ये कॉपीराइट बड़ा अनमोल ……… जिसको पाकर मैं हो गई हूँ गोल ,
मेरे लेखों का नायक है तू  ……… मैंने तुझको दिया है सब अब बोल ,
कि तेरे इश्क़ का ये कॉपीराइट ………. केवल रहेगा अब से मेरा ही सनम ,
मरकर भी इसे कोई छीन ना सकेगा ……… चाहे ले ले वो सौ और जनम ॥

No comments:

Post a Comment