This Hindi poem highlights the mental state of a Writer where She has lost Her writing power without the company of Her Lover as each and every word of her writing emerged from His company. Later She get back the same and Her words again become a showcase talent for others.
मेरे शब्द खो गए कहीं पर ,
मैं ढूँढने लगी उन्हें यहीं पर ,
सोचा …… किसी ने चुराए होंगे जरूर ,
करने को मुझे और भी मजबूर ।
मैं ढूँढने लगी उन्हें यहीं पर ,
सोचा …… किसी ने चुराए होंगे जरूर ,
करने को मुझे और भी मजबूर ।
कोई तो होगा जो जलता होगा ,
मेरे लिखे शब्दों के बाणों से ,
कोई तो होगा जो पढ़ता होगा ,
मेरे लिखे किस्से वीरानों में ।
मेरे लिखे शब्दों के बाणों से ,
कोई तो होगा जो पढ़ता होगा ,
मेरे लिखे किस्से वीरानों में ।
वो जो देता है हर बार मुझे ,
कुछ शब्द लिखने को उधार में ,
शायद अब उसने ही बंद कर दिए ,
मेरे लिए उपजाने नए शब्द अपने प्यार में ।
कुछ शब्द लिखने को उधार में ,
शायद अब उसने ही बंद कर दिए ,
मेरे लिए उपजाने नए शब्द अपने प्यार में ।
मेरे शब्द खो गए कहीं पर ,
मैं ढूँढने लगी उन्हें यहीं पर ………
मैं ढूँढने लगी उन्हें यहीं पर ………
वो जब मिलता था तो खिल जाती थी ,
मेरे शब्दों की बगिया वीराने में ,
अब आता नहीं गर वो मुझसे मिलने को ,
तो उपजते नहीं शब्द भी यहाँ खिलने को ।
मेरे शब्दों की बगिया वीराने में ,
अब आता नहीं गर वो मुझसे मिलने को ,
तो उपजते नहीं शब्द भी यहाँ खिलने को ।
बहुत ढूँढा मगर वो मिले नहीं ,
मेरे सोचने की क्षमता अब घटने लगी ,
मैं आँसुओं को तब अपने नैनों में भर कर ,
याद करने लगी उसे फिर जी भर कर ।
मेरे सोचने की क्षमता अब घटने लगी ,
मैं आँसुओं को तब अपने नैनों में भर कर ,
याद करने लगी उसे फिर जी भर कर ।
अचानक से वो लौट आया ,
और मेरे चेहरे पर तब एक नूर छाया ,
उसने फिर से शुरू की तब अपने इश्क़ की दास्ताँ ,
और मैं फिर से ढूँढने लगी तब अपनी मंज़िल का रास्ता ।
और मेरे चेहरे पर तब एक नूर छाया ,
उसने फिर से शुरू की तब अपने इश्क़ की दास्ताँ ,
और मैं फिर से ढूँढने लगी तब अपनी मंज़िल का रास्ता ।
मेरे शब्द खो गए कहीं पर ,
मैं ढूँढने लगी उन्हें यहीं पर ………
मैं ढूँढने लगी उन्हें यहीं पर ………
मेरे शब्दों ने फिर से एक तीर चलाया ,
मुझे अँधेरों में भी अब उजाला नज़र आया ,
मेरे शब्द फिर बहकने लगे यहीं पर ,
जिन्हें पढ़ प्रेमी झूमने लगे कहीं पर ।
मुझे अँधेरों में भी अब उजाला नज़र आया ,
मेरे शब्द फिर बहकने लगे यहीं पर ,
जिन्हें पढ़ प्रेमी झूमने लगे कहीं पर ।
ये सच है कि अब मेरे शब्द भी ,
बँधने लगे हैं उसके संग ही ,
वरना यूँही नहीं कोई इतना लिख पाता ,
जिसमे जवानी का नशा और मदहोश है समाता ।
बँधने लगे हैं उसके संग ही ,
वरना यूँही नहीं कोई इतना लिख पाता ,
जिसमे जवानी का नशा और मदहोश है समाता ।
मेरे शब्द आज उसकी ही अमानत हैं ,
जो उछल पढ़ते हैं यहाँ बार-बार ,
वो कहता है जिन्हे सीधे लहज़े में ,
वो बन जाते हैं मेरी कहानी का हर बार एक नया सूत्रधार ॥
जो उछल पढ़ते हैं यहाँ बार-बार ,
वो कहता है जिन्हे सीधे लहज़े में ,
वो बन जाते हैं मेरी कहानी का हर बार एक नया सूत्रधार ॥
A Writer always inspires with someone and His writings are the inner souls of His traits.
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