This Hindi poem highlights the Love of two Lovers where the beloved felt a sigh of relief in Her heart after meeting up with Lover. Later she realized that if some signs indicate some hotness in their meet ,that too are feasible as at least they helped her to get a sigh of relief in Her heart.
दिल ~ए~ सुकूँ सा क्यूँ छाता है ………. तुमसे मुलाक़ात के बाद ?
एक “नशा ‘ फिर से क्यूँ आता है ……… तेरी हर बात के बाद ?
एक “नशा ‘ फिर से क्यूँ आता है ……… तेरी हर बात के बाद ?
बहुत दिनों से हम भी थे ……… कुछ तन्हा -तन्हा ,
तुम्हे बुलाने को बेबस थे ………. मगर लम्हा-लम्हा ,
मज़बूर ~ए~ हालात करें बेबस ……… तेरी याद के साथ ,
दिल ~ए~ सुकूँ सा क्यूँ छाता है ………. तुमसे मुलाक़ात के बाद ?
तुम्हे बुलाने को बेबस थे ………. मगर लम्हा-लम्हा ,
मज़बूर ~ए~ हालात करें बेबस ……… तेरी याद के साथ ,
दिल ~ए~ सुकूँ सा क्यूँ छाता है ………. तुमसे मुलाक़ात के बाद ?
तुमने आकर के सँभाला था ……… हर वो रंगीन सा लम्हा ,
जिसको पाने की ख्वाइश में ………. ये दिल था कितना तन्हा ,
पूछने को बाकी पड़े थे ढेरों सवालात ……… तेरी परछाई के साथ ,
दिल ~ए~ सुकूँ सा क्यूँ छाता है ………. तुमसे मुलाक़ात के बाद ?
जिसको पाने की ख्वाइश में ………. ये दिल था कितना तन्हा ,
पूछने को बाकी पड़े थे ढेरों सवालात ……… तेरी परछाई के साथ ,
दिल ~ए~ सुकूँ सा क्यूँ छाता है ………. तुमसे मुलाक़ात के बाद ?
दिल ~ए~ सुकूँ सा क्यूँ छाता है ………. तुमसे मुलाक़ात के बाद ?
एक “नशा ‘ फिर से क्यूँ आता है ……… तेरी हर बात के बाद ?
एक “नशा ‘ फिर से क्यूँ आता है ……… तेरी हर बात के बाद ?
सोचते थे हम कि अब सँभलेंगे ……… तुमसे मिल के ,
फिर ना होने देंगे प्रकट तुम पर वो राज ………. अपने दिल के ,
मगर तुमने सब जान लिए ओ जाना ……… अपने वो दिल के हालात ,
दिल ~ए~ सुकूँ सा क्यूँ छाता है ………. तुमसे मुलाक़ात के बाद ?
फिर ना होने देंगे प्रकट तुम पर वो राज ………. अपने दिल के ,
मगर तुमने सब जान लिए ओ जाना ……… अपने वो दिल के हालात ,
दिल ~ए~ सुकूँ सा क्यूँ छाता है ………. तुमसे मुलाक़ात के बाद ?
तुम पूछते रहे जो कुछ भी ……… हम बताते क्यूँ रहे ?
क्यूँ ना फिर रोक सके खुद को ………. और इतराते से रहे ?
कह दिया खुमारी में क्यूँ तुमसे ……… कि गर्म होती हैं अब अपनी भी हर रात ,
दिल ~ए~ सुकूँ सा क्यूँ छाता है ………. तुमसे मुलाक़ात के बाद ?
क्यूँ ना फिर रोक सके खुद को ………. और इतराते से रहे ?
कह दिया खुमारी में क्यूँ तुमसे ……… कि गर्म होती हैं अब अपनी भी हर रात ,
दिल ~ए~ सुकूँ सा क्यूँ छाता है ………. तुमसे मुलाक़ात के बाद ?
हमने कहा भी नहीं था तुमसे कुछ ……… मगर तुम फिर भी करने लगे ,
अपने इशारों की तपन देकर ………. हमें फिर और गर्म करने लगे ,
राहत~ए~दिल हमें तब और भी आता है ……… तुम्हारे इशारों के साथ ,
दिल ~ए~ सुकूँ सा क्यूँ छाता है ………. तुमसे मुलाक़ात के बाद ?
अपने इशारों की तपन देकर ………. हमें फिर और गर्म करने लगे ,
राहत~ए~दिल हमें तब और भी आता है ……… तुम्हारे इशारों के साथ ,
दिल ~ए~ सुकूँ सा क्यूँ छाता है ………. तुमसे मुलाक़ात के बाद ?
लोग अक्सर मुलाक़ातों को ……… दोषी समझते हैं ,
उनसे होने वाली वासनाओं की चाहतों को ………. अपने मन की निर्बलता कहते हैं ,
लग भी जाती है ऐसी आग ……… गर तेरे साथ के बाद ,
तो दिल ~ए~ सुकूँ सा तो छाता है ………. तुमसे मुलाक़ात के बाद ॥
उनसे होने वाली वासनाओं की चाहतों को ………. अपने मन की निर्बलता कहते हैं ,
लग भी जाती है ऐसी आग ……… गर तेरे साथ के बाद ,
तो दिल ~ए~ सुकूँ सा तो छाता है ………. तुमसे मुलाक़ात के बाद ॥
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