This Hindi poem Highlights the social issue of “Rape” in our society and tries to give a message to our youngsters that though they become the winner by overpower a women but they will lose the real Love which they beg from God.
बल पूर्वक किया प्यार …… बलात्कार कहलाता है ,
जिसमे नारी का रोम-रोम अंदर से ……… छिंद-छिंद हो जाता है ।
जिसमे नारी का रोम-रोम अंदर से ……… छिंद-छिंद हो जाता है ।
अपनी पीड़ा का जब वो उस वहशी से ………प्रतिकार करती है ,
तब हर पुरुष को वो अपने मन ही मन ………. एक गहरा श्राप धरती है ।
तब उस श्राप से ………. इस पुरुष समाज का अंत और निकट आता है ,
नारी से पहले अब पुरुष का जीवनकाल ………जल्द समाप्त हो जाता है ।
तब हर पुरुष को वो अपने मन ही मन ………. एक गहरा श्राप धरती है ।
तब उस श्राप से ………. इस पुरुष समाज का अंत और निकट आता है ,
नारी से पहले अब पुरुष का जीवनकाल ………जल्द समाप्त हो जाता है ।
बल पूर्वक किया प्यार …… बलात्कार कहलाता है ,
जिसमे नारी का रोम-रोम अंदर से ……… छिंद-छिंद हो जाता है ।
जिसमे नारी का रोम-रोम अंदर से ……… छिंद-छिंद हो जाता है ।
बलात्कार अक्सर एक मानसिक रोगी को ………जन्म देता है ,
जो अपने मन की झुंझलाहट को ………. स्त्री पर फैंक देता है ।
फिर कोशिश करता है वो ………. अपनी हवस को मिटाने की ,
जिसमे शिकार हो जाती है नारी ………ऐसे कई दीवानों की ।
जो अपने मन की झुंझलाहट को ………. स्त्री पर फैंक देता है ।
फिर कोशिश करता है वो ………. अपनी हवस को मिटाने की ,
जिसमे शिकार हो जाती है नारी ………ऐसे कई दीवानों की ।
बल पूर्वक किया प्यार …… बलात्कार कहलाता है ,
जिसमे नारी का रोम-रोम अंदर से ……… छिंद-छिंद हो जाता है ।
जिसमे नारी का रोम-रोम अंदर से ……… छिंद-छिंद हो जाता है ।
बलात्कार एक जीत नहीं ………ये पुरुष की सबसे बड़ी हार है ,
जिसमे लिप्त होकर वो पा नहीं सकता ………. कभी सच्चा प्यार है ।
वो बलात्कारी बन ना केवल खुद के ………. नाम को दागित करता है ,
बल्कि सारी उम्र अपने अंतर्मन में उठे ………फिर नए सवालों से गुजरता है ।
जिसमे लिप्त होकर वो पा नहीं सकता ………. कभी सच्चा प्यार है ।
वो बलात्कारी बन ना केवल खुद के ………. नाम को दागित करता है ,
बल्कि सारी उम्र अपने अंतर्मन में उठे ………फिर नए सवालों से गुजरता है ।
बल पूर्वक किया प्यार …… बलात्कार कहलाता है ,
जिसमे नारी का रोम-रोम अंदर से ……… छिंद-छिंद हो जाता है ।
जिसमे नारी का रोम-रोम अंदर से ……… छिंद-छिंद हो जाता है ।
सदियों से चली आ रही इस प्रथा को ……… कोई रोक नहीं पाया है अब तक ,
क्योंकि बलात्कार कोई रोग नहीं ………. जिसकी दवा दी जाए युगों तक ।
बलात्कार तो ऐसा एक भोग है ……….जिसमे मन को हर पल एक अशांति मिलेगी ,
और बलात्कारी स्त्री की बद्दुआएँ ………बिजली बन उसके जीवन पर गिरेंगी ।
क्योंकि बलात्कार कोई रोग नहीं ………. जिसकी दवा दी जाए युगों तक ।
बलात्कार तो ऐसा एक भोग है ……….जिसमे मन को हर पल एक अशांति मिलेगी ,
और बलात्कारी स्त्री की बद्दुआएँ ………बिजली बन उसके जीवन पर गिरेंगी ।
बल पूर्वक किया प्यार …… बलात्कार कहलाता है ,
जिसमे नारी का रोम-रोम अंदर से ……… छिंद-छिंद हो जाता है ।
जिसमे नारी का रोम-रोम अंदर से ……… छिंद-छिंद हो जाता है ।
इसलिए आने वाली पीढ़ी गर समझ सके ……… तो समझ ले ये बात ,
कि बलात्कार ही ऐसा एक शस्त्र है ………. जो नारी ह्रदय पर करता हर पल प्रतिघात ।
बलात्कारी बनकर गर तुम जीत भी जाओगे ……… उस नारी की शक्ति ,
तो भी प्यार रह जाएगा हमेशा अधूरा तुम्हारा ……… जिसे पाने को अक्सर तुम करते हो इस ईश्वर से भक्ति ।।
कि बलात्कार ही ऐसा एक शस्त्र है ………. जो नारी ह्रदय पर करता हर पल प्रतिघात ।
बलात्कारी बनकर गर तुम जीत भी जाओगे ……… उस नारी की शक्ति ,
तो भी प्यार रह जाएगा हमेशा अधूरा तुम्हारा ……… जिसे पाने को अक्सर तुम करते हो इस ईश्वर से भक्ति ।।
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