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Tuesday, June 9, 2015

Balaatkaar – Curse on Society



This Hindi poem Highlights the social issue of “Rape” in our society and tries to give a message to our youngsters that though they become the winner by overpower a women but they will lose the real Love which they beg from God.
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Hindi Poem Balaatkaar – Curse on Society
बल पूर्वक किया प्यार  …… बलात्कार कहलाता है ,
जिसमे नारी का रोम-रोम अंदर से  ……… छिंद-छिंद हो जाता है ।

अपनी पीड़ा का जब वो उस वहशी से  ………प्रतिकार करती है ,
तब हर पुरुष को वो अपने मन ही मन  ………. एक गहरा श्राप धरती है ।
तब उस श्राप से  ………. इस पुरुष समाज का अंत और निकट आता है ,
नारी से पहले अब पुरुष का जीवनकाल  ………जल्द समाप्त हो जाता है ।
बल पूर्वक किया प्यार  …… बलात्कार कहलाता है ,
जिसमे नारी का रोम-रोम अंदर से  ……… छिंद-छिंद हो जाता है ।

बलात्कार अक्सर एक मानसिक रोगी को  ………जन्म देता है ,
जो अपने मन की झुंझलाहट को ………. स्त्री पर फैंक देता है ।
फिर कोशिश करता है वो ………. अपनी हवस को मिटाने की  ,
जिसमे शिकार हो जाती है नारी  ………ऐसे कई दीवानों की ।
बल पूर्वक किया प्यार  …… बलात्कार कहलाता है ,
जिसमे नारी का रोम-रोम अंदर से  ……… छिंद-छिंद हो जाता है ।

बलात्कार एक जीत नहीं  ………ये पुरुष की सबसे बड़ी हार है ,
जिसमे लिप्त होकर वो पा नहीं सकता ………. कभी सच्चा प्यार है ।
वो बलात्कारी बन ना केवल खुद के  ………. नाम को दागित करता है ,
बल्कि सारी उम्र अपने अंतर्मन में उठे   ………फिर नए सवालों से गुजरता है ।
बल पूर्वक किया प्यार  …… बलात्कार कहलाता है ,
जिसमे नारी का रोम-रोम अंदर से  ……… छिंद-छिंद हो जाता है ।

सदियों से चली आ रही इस प्रथा को ……… कोई रोक नहीं पाया है अब तक  ,
क्योंकि बलात्कार कोई रोग नहीं  ………. जिसकी दवा दी जाए युगों तक ।
बलात्कार तो ऐसा एक भोग है  ……….जिसमे मन को हर पल एक अशांति मिलेगी  ,
और बलात्कारी स्त्री की बद्दुआएँ  ………बिजली बन उसके जीवन पर गिरेंगी ।
बल पूर्वक किया प्यार  …… बलात्कार कहलाता है ,
जिसमे नारी का रोम-रोम अंदर से  ……… छिंद-छिंद हो जाता है ।

इसलिए आने वाली पीढ़ी गर समझ सके  ……… तो समझ ले ये बात ,
कि बलात्कार ही ऐसा एक शस्त्र है  ………. जो नारी ह्रदय पर करता हर पल प्रतिघात ।
बलात्कारी बनकर गर तुम जीत भी जाओगे  ……… उस नारी की शक्ति  ,
तो भी प्यार रह जाएगा हमेशा अधूरा तुम्हारा   ……… जिसे पाने को अक्सर तुम करते हो इस ईश्वर से भक्ति ।।

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