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Tuesday, June 2, 2015

My Last Decision



This Hindi poem highlights the Mental state of an Indian wife where she wanted to left Her husband due to His drinking habit , but always turned back ………as Her last decision always made Her force to convince that the liquor is bad instead of his man.
wine-bottle-glass
Hindi Social Poem – My Last Decision
बुरे तुम नहीं ,बुरी तो तुम्हारी  ………. ये शराब है ,
जो हर बार बहक के कहती है  ……… कि हम खराब हैं ।
गर हम खराब इतने होते  ……… तो सूफी में तुम ना हमें ,गले यूँ लगाते ,
उन प्यार भरी बातों से ना तब  …………… हमारे मन को यूँ बहलाते ।
बुरे तुम नहीं ,बुरी तो तुम्हारी  ………. ये शराब है ………….

हर बार तुम जब “नशे” में आते ………. तो अपना फैसला सुनाते ,
कि मजबूर~ए~ हालात हैं ये वो  ……… जिन्हें तुम भी ना समझ पाते ।
और अगले ही दिन सूफी में ……… तुम बेदाग़ से हो जाते ,
अपने पिछले दिन के कर्मो पर …………… हाथ मल-मल कर पछताते ।
बुरे तुम नहीं ,बुरी तो तुम्हारी  ………. ये शराब है ………….

खुद को एक तानाशाही समझ ………. तुम  “नशे” में यूँ झल्लाते ,
जैसे हुकूमत~ए ~ मुल्क  के शहंशाह  ……… थे कभी फरमाते ।
परन्तु अगले ही दिन सूफी में ……… तुम फिर सेवक बन जाते ,
जैसे कोई भक्त अपने भगवन को ……………मन-मंदिर में हों पुजाते ।
बुरे तुम नहीं ,बुरी तो तुम्हारी  ………. ये शराब है ………….

ये शराब “नशा” बन कर  ………. जब तुम्हारे मस्तिष्क में डोलती है ,
तब अच्छी खासी पत्नी भी   ………तुम्हारे अँधेरों की एक छवि है ।
परन्तु अगले ही दिन सूफी में ……… जब उसका “नशा” तुम पर से हट है जाता ,
तब अपनी कामिनी सी पत्नी का ही सिर्फ ……………चेहरा तुम्हे है भाता ।
बुरे तुम नहीं ,बुरी तो तुम्हारी  ………. ये शराब है ………….

मैं जब भी परेशां होकर तुमसे दूर जाने का ………. कोई अंतिम निर्णय लेने लगती हूँ  ,
तब तुम्हारी शराब की बोतल को  ……… अपनी सौतन मान वापस मुड़ने लगती हूँ   ।
और तब मन ही मन मुझे ये लगता है  ………कि शायद इस बात का यही एक सही जवाब है ,
कि बुरे तुम नहीं ,बुरी तो तुम्हारी  ………. ये शराब है ॥
A Message To All-
We all born by Good Qualities But We became Bad due to some Bad habits.

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