13
वो चिड़िया कहाँ गयी …..मेरे आँगन की ?
जो मेरे बचपन में फुदक कर आती थी ,
बैठ मेरी छत की मुंडेर पर ,
वो चीं -चीं का शोर मचाती थी ।
कुछ सालों तक वो मेरे साथ उड़ी ,
कुछ सालों तक मैं उसे तकती रही ,
और फिर अचानक वक़्त की उलझनों में ,
मैं उसे भूल कर …अपनी दुनिया में व्यस्त रही ।
अपनी जिंदगी के चालीस सालों तक ,
मैंने रोज़ आकाश को निहारा ,
सुबह पंछियों को चहचहाते हुए पुकारा ,
और रोज़ की ही भाँति ….आँगन में आये कबूतरों को दाना डाला ।
मैं तब भी न समझ सकी …..
कि कोई हमारी दुनिया से लुप्त हो रहा है ,
इस बढ़ती हुई जनसंख्या में …
कोई अपना अस्तित्व ऐसे खो रहा है ।
और कल रोज़ की ही तरह ….जब मैंने अखबार को उठाया ,
उसे पढ़ने के लिए …..उसके पृष्ठों को पलटाया ,
तो उस नन्ही सी चिड़िया की ……तस्वीर को वहाँ पाकर ,
अपनी खोई हुई याददाश्त को …..सालों पीछे दौड़ाया ।
अचानक से तभी मुझे याद आया ,
कि हुआ करती थी …..एक छोटी चिड़िया आकाश में ,
जिसकी गुमशुदगी छपी थी …..उस दिन के अखबार में ,
जिसे बचाने की गुहार लगाई थी ……राज्य सरकार ने ।
मगर अब वो घोषित हो चुकी थी …..”State Bird Of Delhi”,
और मना रहे थे अब हम उसका … “World Sparrow Day”,
कह रही थी सरकार अब ….कि बचा लो उसको ….अब इन Urban हवायों से ,
जहाँ खो गयी है ….वो ना जाने कहाँ …..इन खूबसूरत फ़िज़ायों से ।
दो अश्रु मेरे भी बह गए …..
उसको इस तरह से अखबार में देखकर ,
जो कभी उन्मुक्त गगन के पंछी थे …..
उनकी लुप्त होती प्रजाति को सोचकर ।
हाँ वो चिड़िया ….याद आई मुझे अचानक,
जी चाहा …. उसको थाम लूँ ,
कैसे …..कहाँ …..कब …खो गयी वो ,
जिसे “State Bird” से अब सम्मान दूँ ।।
वो चिड़िया कहाँ गयी …..मेरे आँगन की ?
जो मेरे बचपन में फुदक कर आती थी ,
बैठ मेरी छत की मुंडेर पर ,
वो चीं -चीं का शोर मचाती थी ।
कुछ सालों तक वो मेरे साथ उड़ी ,
कुछ सालों तक मैं उसे तकती रही ,
और फिर अचानक वक़्त की उलझनों में ,
मैं उसे भूल कर …अपनी दुनिया में व्यस्त रही ।
अपनी जिंदगी के चालीस सालों तक ,
मैंने रोज़ आकाश को निहारा ,
सुबह पंछियों को चहचहाते हुए पुकारा ,
और रोज़ की ही भाँति ….आँगन में आये कबूतरों को दाना डाला ।
मैं तब भी न समझ सकी …..
कि कोई हमारी दुनिया से लुप्त हो रहा है ,
इस बढ़ती हुई जनसंख्या में …
कोई अपना अस्तित्व ऐसे खो रहा है ।
और कल रोज़ की ही तरह ….जब मैंने अखबार को उठाया ,
उसे पढ़ने के लिए …..उसके पृष्ठों को पलटाया ,
तो उस नन्ही सी चिड़िया की ……तस्वीर को वहाँ पाकर ,
अपनी खोई हुई याददाश्त को …..सालों पीछे दौड़ाया ।
अचानक से तभी मुझे याद आया ,
कि हुआ करती थी …..एक छोटी चिड़िया आकाश में ,
जिसकी गुमशुदगी छपी थी …..उस दिन के अखबार में ,
जिसे बचाने की गुहार लगाई थी ……राज्य सरकार ने ।
मगर अब वो घोषित हो चुकी थी …..”State Bird Of Delhi”,
और मना रहे थे अब हम उसका … “World Sparrow Day”,
कह रही थी सरकार अब ….कि बचा लो उसको ….अब इन Urban हवायों से ,
जहाँ खो गयी है ….वो ना जाने कहाँ …..इन खूबसूरत फ़िज़ायों से ।
दो अश्रु मेरे भी बह गए …..
उसको इस तरह से अखबार में देखकर ,
जो कभी उन्मुक्त गगन के पंछी थे …..
उनकी लुप्त होती प्रजाति को सोचकर ।
हाँ वो चिड़िया ….याद आई मुझे अचानक,
जी चाहा …. उसको थाम लूँ ,
कैसे …..कहाँ …..कब …खो गयी वो ,
जिसे “State Bird” से अब सम्मान दूँ ।।
A Message To All-
The good old house sparrow,which is becoming rarer by the day , has been declared “State Bird Of Delhi”.
World
Sparrow Day is a day designated to raise awareness about the house
sparrow and other common birds in urban environment and of threat to
their population. World Sparrow Day has a broader vision to provide a
platform for nurturing our common birds.
SPARROW……..The State Bird Of Delhi……Nurture and Protect it.
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