मेरी लिखी हर कहानी का ……अंत इतना उदास क्यूँ ?
मेरे लिखे हर शब्द में ……कुछ छूट जाने की बात क्यूँ ?
एक लेखक की अंतरात्मा से …….बनती हैं रचनाएँ ,
फिर क्यूँ मेरी रचनायों को ……मिलती नहीं हवाएँ ?
मैं हर वक़्त लिखते हुए …..उनका अंत जब सोचती हूँ ,
तो एक उदास सा अंत …..अपनी रचनायों में पिरोती हूँ ।
क्या सच में एक उदासी से भरा ……जीवन है मेरा भी ,
जिसे जीने की चाहत में ……मैं रचनायों में डूबती हूँ ।
कोई लेखक कैसे इतना ……संगीन हो सकता है ,
कि जब अंत खोजने निकले ……तो रंगीन पहलू भी ….. खो देता है ।
अंतिम अक्स मेरी रचनायों का ……उदासी भरा क्यूँ होता है ?
हर क्षण मेरी दुनिया का …..सबसे छोटा क्यूँ होता है ?
कैसे बन जाते हैं लेखक ……हास्य कवितायों के रचयेता ?
कैसे बन जाते हैं वो अपने जीवन में ….. हँसने के विजेता ?
हाँ ये सच है कि ….हर लेखक के जीवन का …..कोई राज़ है ,
हाँ ये सच है कि ……हर लेखक का जीवन ……एक किताब है ।
उसके शब्द उसके लेखन में ……उसकी तस्वीर को दर्शाते हैं ,
उसके भाव उसके जीवन की ……एक छाप छोड़ जाते हैं ।
कोई उदासी को गले लगा …..अपनी रचनायों में रंग भरता है ,
कोई शान्ति और स्थिरता के भावों से ……अपने जीवन को गति देता है ।
जिस भाव से वो जीवन को जियेगा ……उसी भाव को कागज़ पर लाएगा ,
यही तो लेखक की विडम्बना है …..कि उसके जीवन को ….हर कोई पढ़ता जाएगा ।
कभी-कभी तो डर लगता है मुझे ……लिखते हुए रचनायों को ,
कि मुफ्त में बदनामी होगी ……जो खोजा किसी ने …….मेरे अन्दर दबी भावनायों को ।
हाँ मेरी रचनाएँ अक्सर ……अंतहीन हो जाती हैं ,
हाँ मेरे जीवन में भी …….जीवन जीने की लहरें …..अक्सर दब जाती हैं ।
मैं जब भी अंतिम निर्णय पर …..अपनी रचनायों को पहुँचाने लगती हूँ ,
वो मेरे जीवन की ही भाँति …….अक्सर मूक बन मचल जाती हैं ।।
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