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Thursday, March 5, 2015

Nahin Banna Mujhe

This Hindi poem describes a critical situation faces by an Indian woman in her extramarital affair and refusing her lover for further relationship.
woman-painting-graffiti
Hindi Poem – Nahin Banna Mujhe

नहीं बनना “गुनहागार” मुझे …..उम्र भर अपनी निगाहों में ,
नहीं करना मुझे प्यार …..इस तरह से सूनी रातों में ।

नहीं बनना “Star” मुझे …..उम्र भर दुनिया की निगाहों में ,
नहीं करना मुझे ऐतबार …..इस तरह के “Fun” की बातों में ।

नहीं बनना “आग” मुझे …..उम्र भर तेरी चाहत में ,
नहीं करना मुझे चमत्कार …..इस तरह से तेरी नज़रों में ।

नहीं बनना तेरा “प्यार” मुझे …..उम्र भर इस अधूरेपन में ,
नहीं करना मुझे दीदार ……इस तरह से तेरी धडकनों में ।

नहीं बनना एक “हवस” मुझे …..उम्र भर तेरी महफ़िल में ,
नहीं भरना मुझे जाम ……इस तरह से तेरे “नशे” में ।

नहीं बनना एक “शबाब” …..उम्र भर तेरे पहलू में ,
नहीं तकना कोई ख्वाब …..इस तरह से अँधेरे में ।

नहीं बनना एक “लकीर”….उम्र भर तेरे माथे में ,
नहीं तकनी कोई तस्वीर ……इस तरह से किताबों में ।

नहीं बनना झूठी “दुनिया”……उम्र भर तेरी Fantasy में ,
नहीं चलना मुझे संग ……इस तरह से नयी दुनिया में ।

नहीं बनना एक “रखैल” मुझे …..उम्र भर तेरे वैशाल्य में ,
नहीं जाना उस डगर पर …..इस तरह से अनजाने में ।

नहीं बनना तेरी “महबूबा” …..उम्र भर तड़पने को ,
नहीं करना खुद को ख़तम …..इस तरह से फड़कने को ।

नहीं बनना कोई “बहार” मुझे ……….उम्र भर तेरी निगाहों में ,
नहीं करना मुझे प्यार ….इन झूठी तेरी वफायों में ।

नहीं बनना तेरा ‘सौदेगार” मुझे ……उम्र भर तेरी सौदेबाजी में ,
नहीं पहनना मुझे हार ……उन मुरझाये फूलों के गुलदस्ते के।

नहीं बनना तेरा “भरम” …….उम्र भर तरसने को ,
नहीं करना कोई करम ……खुद ग्लानि में दहकने को ।

रहने दो मुझे ऐसी ही ……मुझे साथ की चाहत है ,
मत जगाओ मेरे अरमानो को ………..ना बरसात की चाहत है ।

हाँ ……ये सच है ……..कि हम मर मिटे हैं …तेरी किसी अदा पर कहीं ,
नहीं बढ़ाने हमें फिर भी कदम आगे ……..ऐसे ही लगता है अब सब सही ॥

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