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Thursday, March 5, 2015

A Night Shriek

This poem is about a woman who is spending her night with Her lover and He forces her to take out her clothes for fun and pleasure.But being a shy person and bounded with the society limits….
love-making-bed-romantic-couple
Hindi Poem – A Night Shriek

वो चीख रही थी रातों में ….
उन मद भरी बातों में …..
मैं कपड़े नहीं उतारूँगी ….
हाँ ….कपड़े नहीं उतारूँगी ।

ना जाने क्या थी वो माया ,
जिसके डर का था वहाँ साया ,
मेरा इश्क था कुर्बान उसकी अदायों पर ,
बस यही सोच मैंने ….उसकी चाहत को था पाया ।

“वो” क्यूँ इतना घबरा रही थी ?
अपने चेहरे को हाथों से छिपा रही थी ,
उन काँपते हुए हाथों से …..
मुझे फिर भी लुभा रही थी ।

उन रातों का एहसास ….
हमें और करीब लाता था ,
बस उस एहसास के अधूरेपन से ,
सारे बादल छटा जाता था ।

हाँ …मैं पागल उस वक़्त ….
इस कदर हो चुका था ,
कि Reality को Fantasy की ….
खुशबू से भिगो चुका था ।

वो बढ़ती हुई बेताबी …..
वो बढ़ती हुई बेचैनी …
कहती जाती थी उससे …..
कुछ और तुम उतारो ……हाँ …..और तुम उतारो ।

बहुत मुश्किल था वो मिलन ……
जिसमे मेरा दिल इतना जवान था ,
बहुत मुश्किल था वो मिलन …….
जिसमे उसका दिल …एक पत्थर का भगवान था ।

वो रोक रही थी खुद को …
ये सोच …कि वो नहीं है एक हवस ,
वो रोक रही थी खुद को …..
ये सोच …कि हर पल उसके लिए है एक बरस ।

हाँ …..मैंने अपने दिल के ….
अरमानो को बुझाया ,
हाँ ……मैंने उसकी तड़प में भी ,
अपना दिल बहलाया ।

बस यही था एक फर्क …..
हम दोनों में शायद ,
कि जितना उसने सोचा …..
मैं उसका आधा भी ……ना सोच पाया ।

उसने नहीं उतारे कपड़े …..
मेरी बेताबी के बाद भी ,
उसने तोड़ दिए मेरे सपने …..
मेरे कहने के बाद भी ।

उसने जीत लिया फिर से …..
अपने मन के समुन्दर को ,
मैं हार गया देख …..
अपनी चाहतों भरे मंज़र को ।

पर उसके शब्द मेरे कानों में ….
अब भी टकराते हैं ,
वो हर बात पर …..ना कहने की ,
सोच से गहराते हैं ।

मैं इतना भी बुरा नहीं …..
जो “वो” मेरी चाहत को ठुकरा देती है ,
मैं इतना भी बुरा नहीं …..
जो “वो” मुझे इतना सुना देती है ।

मगर शायद “वो” सही है …..
कहीं किसी एक कोण से ,
मगर शायद “वो” सही है …..
अपने इसी एक मौन से ।

तजुर्बा जिंदगी का सच में ….
बहुत विशाल होता है ,
किसी एक न एक को …..
अपनी समझ से जब भिगोता है ।

कभी-कभी हम जिद ….अपने “प्यार” से ,
ऐसी कर देते हैं ,
जिसमे कई ख्वाइशों के ……
तारे टूटे होते हैं ।

मैंने कहा “उसे”…….हौले से ,
जाओ …….तुम मेरी प्रीत हो ,
मत उतारो कपड़े ……
तुम ऐसे ही ठीक हो ।।

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