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Thursday, March 5, 2015

White Blood

This Hindi poem depicts the selfish nature of today’s Era Man who become so hard hearted that HE has no sympathy even with His family members .
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Hindi Poem – White Blood

हो गया मेरा खून सफ़ेद …….दर्द अब होता नहीं ,
अपनों के ही ज़ख्म देख ……ना जाने अब क्यूँ रोता नहीं ?

अपने बचपन में साथ खेले ….भाई-बहनों की याद अब ,
आकर के भी आती नहीं …..क्योंकि हो गया मेरा खून सफ़ेद ।

माँ कहती है -”तू बेटा मेरा” …..मैं उसका हाथ झटक कर हटा देता हूँ ,
तू नहीं है अब “माँ” मेरी ….ऐसी सोच को अपने मन में गहरा देता हूँ ।

“बाबूजी” जो बचपन में मेरे …..ऊँगली पकड़ कर मुझे चलाते थे ,
आज उन्ही की बैसाखियों को मैं ……अपनी लातों से गिरा देता हूँ ।

वो रिश्तेदार मेरे ……जो मुझे ….कभी अपनी गोद में उठाया करते थे ,
आज उन्ही रिश्तेदारों के घंटी बजा देने पर ……मैं अपने दरवाज़े पर ताले लगा देता हूँ ।

क्योंकि हो गया है मेरा खून सफ़ेद …..दर्द अब होता नहीं ,
अपनों के ही ज़ख्म देख …..न जाने अब क्यूँ रोता नहीं ?

मेरा परिवार है अब मेरे लिए सर्वोपरि …..उनके ही ज़ख्म मुझे ….सिर्फ नज़र आते हैं ,
बाकी दुनिया के लोग तो अब ……सिर्फ एक तमाशबीन की श्रेणी में गिने जाते हैं ।

कसूर मेरा नहीं ….इस कलयुग का है शायद ….जहाँ संस्कारों को किताबों से हटा दिया है ,
मनो में एक-दूसरे के इतनी नफरत भर ……समाज में जीना सिखा दिया है ।

तभी  हो गया है मेरा खून सफ़ेद …..दर्द अब होता नहीं ,
अपनों के ही ज़ख्म देख …..न जाने अब क्यूँ रोता नहीं ?

खून सिर्फ मेरा नहीं ….अब हर मानव का …….धीरे-धीरे सफ़ेद होता जा रहा है ,
और आने वाली पीढ़ी का तो ……”बेरंग” बनने की खातिर  ….अभी से Tutions ले रहा है ।

किसी की मृत्यु अब ….सिर्फ कुछ घंटो की …..औपचारिकता बन के रह गयी है ,
उसमे भी Phone Calls Attend करने की मजबूरी …….शमशान घाट के Compound में बयाँ हो रही है ।

“क्या हो गया है मुझे ?”…….अक्सर तन्हाई में मैं ये सोच ……जब खुद के मन का मंथन करता हूँ ,
तब अपने लाल रंग के खून को …….सफ़ेद होता देख …..कहीं एक कोने में सिहर उठता हूँ ।

वो दर्द…. वो आँसू …..वो टीस ….वो ज़ख्म …….सब एक भाव बन गए हैं अब मन के ,
जो समय के साथ लुप्त हो गए …..और हम सिमट गए …..सिर्फ एक छोटी सी मुस्कान बनके ।

आज का मानव अगर ऐसे ही …….”सफ़ेद खून” में बदलता जाएगा ,
तो उसका चेहरा कुछ दिनों बाद ……..सिर्फ एक “तस्वीर” नज़र आएगा ।

जहाँ उसके चेहरे पर भाव तो आयेंगे …….पर वही भाव उसकी सोच में न समायेंगे ,
क्योंकि तब “वो” यही कहेगा कि ….. “हो गया मेरा खून सफ़ेद” …….हाँ …..”हो गया मेरा खून सफ़ेद” ॥

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