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कुछ पलों के लिए “वो” मेरी …….”शहादत” पे रोने आया ,
मुझे “शहीद ” कह ……ख़बरों में अपना “नाम” संजोने आया ।
कभी लड़ता जो मेरी जगह ……”वो” खुद मैदान~ए ~जंग में ,
सीने को आगे तान कर ……”देशप्रेम” को लिए तरंग में ।
तो सोचता महत्व …..एक जवान के गौरव का “वो “,
कि “शाहदत ” किसको कहते हैं ……शहीदों की शान को ।
मैं हँस -हँस कर भरता हर ज़ख़्म …..जो मिला था मुझे …..बेख़ौफ़ यूँ ,
सीमा की रक्षा के लिए ……बना था मैं “जवान” ज्यों ।
उन पापियों ने …..छल से किया ,छलनी मेरा “सर” कलम ,
फिर भी न देखो ….दिख सकी …..चेहरे पे मेरे कोई शिकन ।
बिना “सर” के ….मेरे तन को ….मेरे देश को सौंपा गया ,
“वो ” लेकर चले आये मुझे …..बाँध तिरंगे का “कफ़न” ।
हज़ारों निन्दायें हुईं …..कि अब कहेंगे “उनसे “…….ये ज़ुल्मों सितम ,
कुछ दिनों के बाद देखो ……सब भूल गए अपना “वतन ” ।
ये एक चिंगारी थी ……जो फेंकी थी “उस” जल्लाद ने ,
ये कल हवा बनेगी ……जो न रोकी यहीं “सैलाब ” में ।
“वो ” वोट लेने की खातिर ……..बन गया उनका फिर से “हमदर्द ” ,
“मर्द” की परिभाषा में …….सबसे बड़ा है “वो ” नामर्द ।
मेरी “शहादत” पे रोने के लिए …….नामर्दों की कोई औकात नहीं ,
मैं आज भी मर्द हूँ ……जिसकी रूह में बस साँस नहीं ।
मैं फिर जनम लूँगा एक और …..अपने छल को छलने के लिए ,
तू मेरे लिए दो आँसू ना गिरा ……”देशप्रेम” का रंग भरने के लिए ।
गर इस तरह “शहीदों ” को …….”शहीद ” बना तू “फूल ” चढ़ाएगा ,
तो याद रख ……आने वाला हर “शहीद “………..तुझे तेरे मुरझाये फूल लौटाएगा ।।
कुछ पलों के लिए “वो” मेरी …….”शहादत” पे रोने आया ,
मुझे “शहीद ” कह ……ख़बरों में अपना “नाम” संजोने आया ।
कभी लड़ता जो मेरी जगह ……”वो” खुद मैदान~ए ~जंग में ,
सीने को आगे तान कर ……”देशप्रेम” को लिए तरंग में ।
तो सोचता महत्व …..एक जवान के गौरव का “वो “,
कि “शाहदत ” किसको कहते हैं ……शहीदों की शान को ।
मैं हँस -हँस कर भरता हर ज़ख़्म …..जो मिला था मुझे …..बेख़ौफ़ यूँ ,
सीमा की रक्षा के लिए ……बना था मैं “जवान” ज्यों ।
उन पापियों ने …..छल से किया ,छलनी मेरा “सर” कलम ,
फिर भी न देखो ….दिख सकी …..चेहरे पे मेरे कोई शिकन ।
बिना “सर” के ….मेरे तन को ….मेरे देश को सौंपा गया ,
“वो ” लेकर चले आये मुझे …..बाँध तिरंगे का “कफ़न” ।
हज़ारों निन्दायें हुईं …..कि अब कहेंगे “उनसे “…….ये ज़ुल्मों सितम ,
कुछ दिनों के बाद देखो ……सब भूल गए अपना “वतन ” ।
ये एक चिंगारी थी ……जो फेंकी थी “उस” जल्लाद ने ,
ये कल हवा बनेगी ……जो न रोकी यहीं “सैलाब ” में ।
“वो ” वोट लेने की खातिर ……..बन गया उनका फिर से “हमदर्द ” ,
“मर्द” की परिभाषा में …….सबसे बड़ा है “वो ” नामर्द ।
मेरी “शहादत” पे रोने के लिए …….नामर्दों की कोई औकात नहीं ,
मैं आज भी मर्द हूँ ……जिसकी रूह में बस साँस नहीं ।
मैं फिर जनम लूँगा एक और …..अपने छल को छलने के लिए ,
तू मेरे लिए दो आँसू ना गिरा ……”देशप्रेम” का रंग भरने के लिए ।
गर इस तरह “शहीदों ” को …….”शहीद ” बना तू “फूल ” चढ़ाएगा ,
तो याद रख ……आने वाला हर “शहीद “………..तुझे तेरे मुरझाये फूल लौटाएगा ।।
My Tribute For JAWAANS-
शहीदों की शहादत को …..करते हुए सलाम ,
कायरों की कायरता का ……करते हुए बखान ,
एक नागरिक से पूछो ……..उसके देश के लिए सम्मान ,
जो छिप कर वार करे ……उसके लिए हर शब्द क़त्ल~ए ~आम ।।
कायरों की कायरता का ……करते हुए बखान ,
एक नागरिक से पूछो ……..उसके देश के लिए सम्मान ,
जो छिप कर वार करे ……उसके लिए हर शब्द क़त्ल~ए ~आम ।।
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