क्या मेरे सपनों में ……दुनिया बहती है ?
या है बहती दुनिया में ……सपने मेरे क्या ?
क्या मेरे फूलों में ……..खुशबू आती है ?
या है आती खुशबू में ……मेरे फूल खिलते क्या ?
वो सपनों की दुनिया ……वो फूलों की खुशबू ,
जी चाहता है उनमें ….खुद को मैं भूलूँ ।
फिर से लौटा दो …..वो परियों की दुनिया ,
वो राजा और रानी के …..किस्सों की घड़ियाँ ।
ये T .V और Internet का ……नया ज़माना ,
चाहता है क्यों हमको ……देखो सिखाना ।
नयी Files बनाकर उन्हें ……Downloading कराना ,
पर उन सबमें होता ना ……कोई भी सपना दीवाना ।
ये बचपन है मेरा ……मुझे इसको सिखा दो ,
राजा-रानी की दुनिया ……फिर से वापस लौटा दो ।
जहां सपने थे भोले ……और पंख चमकीले ,
जिन्हें लगाकर बच्चे गाते थे ……गीत सुरीले ।
अब जीने नहीं देते ……मम्मी और पापा ,
उन सपनों की दुनिया में …..जहाँ होते थे तारे ।
कहते हैं हमसे …….वो झूठी थी माया ,
पुराने लोगों की …….बूढ़ी सी छाया ।
मुझसे छिन सी गयी हैं ……वो सपनों की रातें ,
अब तो सपने भी लगते हैं …..सिर्फ कोरी बातें ।
किताबों में पढ़कर …..मैंने इस “सपने” शब्द को जाना ,
You Tube पर जाकर …..इसके Videos से मन बहलाना ।
फिर एक झूठी सी …..सपनों की Fantasy बनाकर ,
सोचा क्या ऐसा ही होता है अक्सर ……उसकी दुनिया में जाकर ।
मेरी बारह साल की उम्र में अब तक ……मुझे सपने क्यों नहीं आए ?
मुझे बचपन से लेकर अब तक सिर्फ ……Smartfone ही क्यों नज़र आये ?
मुझे क्यों इतनी जल्दी सब …….हकीकत से रूबरू कराएँ ?
मैं भी अभी बच्चा हूँ ……ये सब समझ क्यों नहीं पाएँ ?
हाँ मेरी दुनिया में भी ……..सपनों को अभी बहने दो ,
हाँ मेरे सपनों को भी अभी …….मेरे अन्दर ही रहने दो ।
वो सपनें ,वो फूल ,वो राजा -रानी …….सब मुझको लौटा दो ,
इस बहती हुई दुनिया में …….मुझे भी “सपने” दिखा दो ।।
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