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Wednesday, March 4, 2015

A Changing Trend


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Hindi Poem – A Changing Trend

लेखक आज भी हैं ……बस लिखने की कलम बदल गयी ,
कल जो स्याही थी …….वो आज keyboard में बदल गयी ।

किताबें आज भी हैं ……बस उन्हें पढ़ने की तस्वीर बदल गयी ,
कल जो कागज़ पर होती थी …..वो आज Internet की e -book बन गयी ।

विद्यालय आज भी हैं ……बस उनमे सिखाने की शिक्षा बदल गयी ,
कल जहां सिर्फ विद्या थी …..वहीँ आज प्रतिस्पर्धा की होड़ लग गयी ।

परिवार आज भी हैं ……बस उन्हें निभाने की नियत बदल गयी ,
कल जहाँ ख़ुशी थी …….वो आज नफरत में बदल गयी ।

दोस्ती आज भी हैं ……बस दोस्तों की सूरत बदल गयी ,
कल जो महफ़िल की शान होती थी …..वो आज time -pass बन गयी ।

आशिकी आज भी हैं ……बस आशिकों की आशिकी बदल गयी ,
कल जो मोहब्बत थी …..वो आज Break -Up Party बन गयी ।

शादी आज भी हैं ……बस उस शादी की पहचान बदल गयी ,
कल जिसे निभाने की कसमें थी …….आज उस कसम में दौलत भी मिल गयी ।

पुजारी आज भी हैं ……बस पूजा करने की विधि बदल गयी ,
कल जहाँ भगवान् की मूरत थी ….. आज उस मंदिर में ही रंगशाला खुल गयी ।

मंत्री आज भी हैं ……बस उनकी सियासत बदल गयी ,
कल जो देश को संभाले थे ….. आज उसी देश की बोली लग गयी ।

औरत आज भी हैं ……बस उस औरत की छवि बदल गयी ,
कल जो देवी थी …….वो आज भोगने की वस्तु बन गयी ।

शहर आज भी हैं ……बस उन शहरों की हवा बदल गयी ,
कल जहाँ सभ्यता थी  ….. वो आज असभ्य लोगों की जागीर बन गयी ।

देश आज भी हैं ……बस उस देश की परिभाषा बदल गयी ,
कल जिसे “सोने की चिड़िया” कहते थे  ….. वो आज “घोटालों की दुनिया” बन गयी ।

युग आज भी हैं ……बस उस युग में काली छाया पड़ गयी ,
कल जो सतयुग था   …….वो आज कलयुग की कलुषित मूरत बन गयी ।

सब कुछ आज भी हैं ……बस उसे समझने -समझाने की होड़ लग गयी ,
कल सिर्फ कुछ थोड़े से लोग ज्ञानी थे …..  और आज मूर्खों को भी ज्ञानी की पद्वी मिल गयी ।

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