जो नहीं हुआ है अब तक …….गर वो हुआ होता ,
तो तू ख्यालों से परे ……मेरी बाहों में होता ।
तेरे गेसुओं ने गिरकर ……मेरी धडकनों को छुआ होता ,
मैं तुझमें और तू मुझमें ……कहीं छुपा होता ।
जो नहीं हुआ है अब तक …….गर वो हुआ होता ,
तो तू ख्यालों से परे ……मेरी बाहों में होता ।
तेरे सुर्ख से लबों पर …….मेरे लबों का पहरा होता ,
एक जलती हुई आग होती …….जहां बस धुआँ होता ।
जो नहीं हुआ है अब तक …….गर वो हुआ होता ,
तो तू ख्यालों से परे ……मेरी बाहों में होता ।
मेरे सीने पर तेरे ……..सर का कब्ज़ा होता ,
तेरे हाथों में मेरे ……कमर का घेरा होता ।
जो नहीं हुआ है अब तक …….गर वो हुआ होता ,
तो तू ख्यालों से परे ……मेरी बाहों में होता ।
तेरी बेचैनी को मैंने …….अपने जज्बातों में घोला होता ,
तू मचल-मचल कर मेरे ……जिस्म के अन्दर होता ।
जो नहीं हुआ है अब तक …….गर वो हुआ होता ,
तो तू ख्यालों से परे ……मेरी बाहों में होता ।
तू कशमकश में होकर …..मेरे साथ पिघल रहा होता ,
मैं तेरी चाहत को …….अपने सपनों में पिरोता ।
जो नहीं हुआ है अब तक …….गर वो हुआ होता ,
तो तू ख्यालों से परे ……मेरी बाहों में होता ।
तेरी हर आह में ……मेरा नाम लबों पर होता ,
मैं उस नाम के साथ ……तुझे जाम बना संजोता ।
जो नहीं हुआ है अब तक …….गर वो हुआ होता ,
तो तू ख्यालों से परे ……मेरी बाहों में होता ।
तू बनकर मदिरा ……मुझे नशे से जब भिगोता ,
मैं हर चढ़ते हुए नशे में …….तेरे मदिरालय में होता ।
तूने पूछा था मुझसे एक दिन …..गर मेरा साथ तुझे मिला होता ,
तो मैं क्या ऐसा करता …..जो तुझे सबसे अलग लगा होता ।
तेरे जिस्म ~ओ ~जान को तब मैं …….अपने अन्दर इस तरह समोता ,
कि उसमे जो भी रंग भरता ……हर उस रंग में नशा होता ।।
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