This Hindi Poem Highlights the Importance of Dreams in which every Lover lost to fulfill Her fantasies. In this the beloved too saw the dreams of His Lover in which they both intimated and whenever She woke up in the middle ,she again called Her Lover for Her company.
लिखने चले हैं फिर से ………. हाल ~ ए ~ दिल अपना ,
ये हकीकत है ………. ना है कोई सपना ,
रातों को तुम्हें अक्सर ……… आवाज़ देते हैं हम ,
जब भी टूट जाता है ……… तेरा-मेरा कोई सपना ।
ये हकीकत है ………. ना है कोई सपना ,
रातों को तुम्हें अक्सर ……… आवाज़ देते हैं हम ,
जब भी टूट जाता है ……… तेरा-मेरा कोई सपना ।
बाहों में भर के तुमने ……… चूमा था प्यार से ,
हाथों को मेरे थाम …………. जकड़ा खुमार से ,
ज़ुल्फ़ों में छिपने की ……………जैसे ही ढूँढ़ी छईयां ,
नींद मेरी टूट गई ………… ओ मेरे प्यारे सईयां ।
हाथों को मेरे थाम …………. जकड़ा खुमार से ,
ज़ुल्फ़ों में छिपने की ……………जैसे ही ढूँढ़ी छईयां ,
नींद मेरी टूट गई ………… ओ मेरे प्यारे सईयां ।
गोरे-गोरे गालों पर ………. अपने मुख चिन्ह उभार के ,
तुम अब चले थे ………. मेरे अंगों को नापने ,
मैं शर्मीली थोड़ी ……… पलकों को मूँद गई ,
तेरी उँगलियों के ……… नपाने में डूब गई ।
तुम अब चले थे ………. मेरे अंगों को नापने ,
मैं शर्मीली थोड़ी ……… पलकों को मूँद गई ,
तेरी उँगलियों के ……… नपाने में डूब गई ।
तूने छुआ जब मेरे …………. अंगों के उभार को ,
पिघलने लगी तब मैं भी ………. इस ऐतवार को ,
सोते-सोते सपनों में ……… तुझको बुलाने लगी ,
सपनो की नगरी में फिर से ……… घनघोर घटा छाने लगी ।
पिघलने लगी तब मैं भी ………. इस ऐतवार को ,
सोते-सोते सपनों में ……… तुझको बुलाने लगी ,
सपनो की नगरी में फिर से ……… घनघोर घटा छाने लगी ।
आगे तू झुकने चला …………. मेरे तन के छोर पर ,
मैं जाग गई जैसे ………. जगता कोई भोर पर ,
तेरे साँसों की गर्मी से ……… धड़कन भी धड़क रही थी ,
सपने की चाहत फिर से ……… मेरे चेहरे पर झलक रही थी ।
मैं जाग गई जैसे ………. जगता कोई भोर पर ,
तेरे साँसों की गर्मी से ……… धड़कन भी धड़क रही थी ,
सपने की चाहत फिर से ……… मेरे चेहरे पर झलक रही थी ।
तूने फ़ैलाई अपने …………. इश्क़ की जादूगरी ,
मैं तड़पी जैसे ………. जल बिन कोई मछली ,
लुका-छिपी के इस खेल में ………तेरी ही जीत हुई ,
मेरे झूठे से भरम की ……… नींद फिर देखो गई ।
मैं तड़पी जैसे ………. जल बिन कोई मछली ,
लुका-छिपी के इस खेल में ………तेरी ही जीत हुई ,
मेरे झूठे से भरम की ……… नींद फिर देखो गई ।
लिखने चले हैं फिर से ………. हाल ~ ए ~ दिल अपना ,
ये हकीकत है ………. ना है कोई सपना ,
रातों को तुम्हें अक्सर ……… आवाज़ देते हैं हम ,
जब भी तड़पते हैं ये ……… तेरे इश्क़ में अधूरे नयन ।
ये हकीकत है ………. ना है कोई सपना ,
रातों को तुम्हें अक्सर ……… आवाज़ देते हैं हम ,
जब भी तड़पते हैं ये ……… तेरे इश्क़ में अधूरे नयन ।
ये कैसे हैं सपने अनोखे ………. जिन्हें अब मैं लेने लगी ,
साथ से ज्यादा जिनमें ………. कामुकता है भरी ,
सपनों का साथ यारा ………. होता है बड़ा अजीब ,
हक़ीक़त से ज्यादा इसमें ……… दिखती अपने दिल की तस्वीर ।
साथ से ज्यादा जिनमें ………. कामुकता है भरी ,
सपनों का साथ यारा ………. होता है बड़ा अजीब ,
हक़ीक़त से ज्यादा इसमें ……… दिखती अपने दिल की तस्वीर ।
सपनों की नगरी में जाकर ………. हमने ये सीख ली ,
कि तेरे साथ की ही रहती है अक्सर ………. हममें एक कमी ,
सपनों की तू हक़ीक़त ………. सपनों का तू देवता ,
टूटते हैं जब वो एकदम से ……… तब तुम्हें ही पुकारे इस मन की ये चेतना ॥
कि तेरे साथ की ही रहती है अक्सर ………. हममें एक कमी ,
सपनों की तू हक़ीक़त ………. सपनों का तू देवता ,
टूटते हैं जब वो एकदम से ……… तब तुम्हें ही पुकारे इस मन की ये चेतना ॥
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