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Tuesday, June 2, 2015

Pila de itni mujhe aaj



This Hindi poem highlights the grief of a Lover in which He demanded the liquor to get her beloved beauty as He was deeply involved in the Love and wanted the same from Her.
Two empty wine glass on red decorated table
Hindi Love Poem – Pila de itni mujhe aaj
पिला दे इतनी मुझे आज  ……… कि थोड़ा गम कर लूँ ,
हुस्न के इस बाज़ार में  ………. आँखें नम कर लूँ ।
तेरी चाहतें मुझे अब  ………… करने लगीं बेचैन सनम,
आ के कर दे मुझ पर  …… अपने हुस्न का थोड़ा सा करम ।
समा तू इतनी मुझमे आज  ………. कि थोड़ा फक्र कर लूँ ,
हुस्न के इस बाज़ार में  ………. आँखें नम कर लूँ ।
तेरे संग जीने को अब  ……… मेरा ये दिल करता है ,
कभी तुझे छूने को , कभी पाने को  ………. ये मचलता है ।
नशे में डूबूँ सारी रात  ………. ऐसी चाहत कर लूँ ,
हुस्न के इस बाज़ार में  ………. आँखें नम कर लूँ ।
तुझको पाना मेरी किस्मत का  …………एक खज़ाना है ,
दिल ~ए~ मस्ती में डूब जाऊँ  …… ऐसी चाहत का ये तराना है ।
समा तू मुझमे सारी रात  ………. कि थोड़ा और जी लूँ ,
हुस्न के इस बाज़ार में  ………. आँखें नम कर लूँ ।
तू जो ना मिलती तो मैं कहीं यूँ ही  ……… दफ्न हो जाता ,
इश्क़ की इस गहराई को  ……कभी ना समझ पाता ।
भँवर में उतर मैं जाऊँ आज  ………. ऐसा ख्वाब मन में रख लूँ ,
हुस्न के इस बाज़ार में  ………. आँखें नम कर लूँ ।
पीना-पाना तो बन गया अब  ……… एक बहाना है ,
तेरे हुस्न के आगे तो  ………. हर पैमाना भी बेमाना है ।
छलक ना जाए अब ये जाम कहीं  ……… इसलिए पैमाना थोड़ा कम भर लूँ ,
हुस्न के इस बाज़ार में  ………. आँखें नम कर लूँ ।
रात भर पीता रहा मैं  …… तुझे पाने की खातिर ,
तू ना आई मेरी मैयत पर भी  ………. देने सुकूँ काफ़िर ।
पिला दे और मुझे आज ……… कि थोड़ा रंज कर लूँ ,
हुस्न के इस बाज़ार में  ………. आँखें नम कर लूँ ।
पीते-पीते ही दम ये निकले  …… और आँखों में तू बस जाए ,
मेरे मरते हुए अरमानो को  ………. एक हवा दे जाए ।
ऐसी खुशनसीबी मिले मुझको   ………कि मैं खुद को रँग लूँ ,
हुस्न के इस बाज़ार में  ………. आँखें नम कर लूँ ।।

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