This Hindi poem highlights the social issue of domestic violence in which an Indian husband abused His wife under the influence of alcohol on a dark night but the very next day refused for the same about His last night activity . But as the wife had not in a drinking state , so her feelings hurt and She curses the intoxication and advised it not to influence a man who need to get a help of it for telling a lie.
वो पीकर सुनाएँ रोज़ हमें ………… ना जाने कितनी गालियाँ ,
फिर अगले दिन बिन पीए कहें ……… कि वो सब थी प्यार की बालियाँ ।
फिर अगले दिन बिन पीए कहें ……… कि वो सब थी प्यार की बालियाँ ।
जज़्बातों को दाँव पर लगा ……… हम रोज़ अश्क़ों के घूँट पी ,
ये सोच कर चुप रह गए ………. कि क्या पता ये हो उसकी कोई दिल कशी ।
ये सोच कर चुप रह गए ………. कि क्या पता ये हो उसकी कोई दिल कशी ।
वो नशे में कह जाते थे ………… अपने मन में दबी बात को ,
हम बिन नशे के झेलते थे ……… सारी रात उस आघात को ।
हम बिन नशे के झेलते थे ……… सारी रात उस आघात को ।
दिल है हमारे अंदर भी ………… ये उन्होंने नहीं कभी सोचा ,
हर रोज़ अपने पुरुषार्थ को सर्वोपरि बना ……… हमको रोका ।
हर रोज़ अपने पुरुषार्थ को सर्वोपरि बना ……… हमको रोका ।
हम रुकते गए , सुनते गए ……… फिर उनके कहे सवालात को ,
दिल ही दिल में तड़पते रहे ………. देख अपने बेबस हालात को ।
दिल ही दिल में तड़पते रहे ………. देख अपने बेबस हालात को ।
“नशा” भी बहुत कमीना है ………… जो अपने होने का अक्सर हवाला देता ,
अनजाने में हो गई भूल का ……… एक और फिर सहारा लेता ।
अनजाने में हो गई भूल का ……… एक और फिर सहारा लेता ।
“नशा” करने वाला कहे कि उसे याद नहीं ………… बीते हुए कल की कोई भी बात ,
बिन “नशे” में रहने वाला तब सोचता ……… कि क्यूँ कल था वो उसके साथ ?
बिन “नशे” में रहने वाला तब सोचता ……… कि क्यूँ कल था वो उसके साथ ?
हम अक्सर बन जाते हैं ……… उनके “नशे” के मेहरबाँ ,
जब सुनते-सुनाते उनकी बातें ………. बिगड़ जाता है अचानक से दिलकशी का समाँ ।
जब सुनते-सुनाते उनकी बातें ………. बिगड़ जाता है अचानक से दिलकशी का समाँ ।
फिर जन्म लेती है ………… वही पुरानी “घरेलू हिंसा” ,
जिसमे पुरुष बन जाता है ……… किसी अधूरी कहानी का किस्सा ।
जिसमे पुरुष बन जाता है ……… किसी अधूरी कहानी का किस्सा ।
इसलिए “नशा” होता है अक्सर ………… एक मायाजाल ज़िंदगी का ,
जहां लफ़्ज़ बन जाते हैं कटीले बाण बिन तरकश के ……… भेदने लक्ष इस सीने का ।
जहां लफ़्ज़ बन जाते हैं कटीले बाण बिन तरकश के ……… भेदने लक्ष इस सीने का ।
हम भी अक्सर उन्हीं लफ़्ज़ों के तीर के ……… होकर गुलाम ,
इसी “नशे” को गाली देते हैं ………. जब दिल में उठता है तूफ़ान ।
इसी “नशे” को गाली देते हैं ………. जब दिल में उठता है तूफ़ान ।
ए “नशे” तेरी जात का है अगर यही ………… एक बदसूरत सा तराना ,
तो मत समां ऐसे पुरुष में ……… जिसे अपनी बात झूठी साबित करने की खातिर ………. लेना पड़े तेरा सहारा ॥
तो मत समां ऐसे पुरुष में ……… जिसे अपनी बात झूठी साबित करने की खातिर ………. लेना पड़े तेरा सहारा ॥
No comments:
Post a Comment