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Tuesday, June 9, 2015

Nasha




This Hindi poem highlights the social issue of domestic violence in which an Indian husband abused His wife under the influence of alcohol on a dark night but the very next day refused for the same about His last night activity . But as the wife had not in a drinking state , so her feelings hurt and She curses the intoxication and advised it not to influence a man who need to get a help of it for telling a lie.
dark drink glass light
Hindi Poem on Domestic Violence Awareness
वो पीकर सुनाएँ रोज़ हमें ………… ना जाने कितनी गालियाँ ,
फिर अगले दिन बिन पीए कहें  ……… कि वो सब थी प्यार की बालियाँ ।
जज़्बातों को दाँव पर लगा ……… हम रोज़ अश्क़ों के घूँट पी ,
ये सोच कर चुप रह गए  ………. कि क्या पता ये हो उसकी कोई दिल कशी ।
वो नशे में कह जाते थे  ………… अपने मन में दबी बात को ,
हम बिन नशे के झेलते थे ……… सारी रात उस आघात को ।
दिल है हमारे अंदर भी ………… ये उन्होंने नहीं कभी सोचा  ,
हर रोज़ अपने पुरुषार्थ को सर्वोपरि बना ……… हमको रोका ।
हम रुकते गए , सुनते गए  ……… फिर उनके कहे सवालात को  ,
दिल ही दिल में तड़पते रहे  ………. देख अपने बेबस हालात को ।
“नशा” भी बहुत कमीना है  ………… जो अपने होने का अक्सर हवाला देता  ,
अनजाने में हो गई भूल का  ……… एक और फिर सहारा लेता ।
“नशा” करने वाला कहे कि उसे याद नहीं  ………… बीते हुए कल की कोई भी बात  ,
बिन “नशे” में रहने वाला तब सोचता  ……… कि क्यूँ  कल था वो उसके साथ ?
हम अक्सर बन जाते हैं  ……… उनके “नशे” के मेहरबाँ  ,
जब सुनते-सुनाते उनकी बातें ………. बिगड़ जाता है अचानक से दिलकशी का समाँ ।
फिर जन्म लेती है   ………… वही पुरानी “घरेलू हिंसा” ,
जिसमे पुरुष बन जाता है   ……… किसी अधूरी कहानी का किस्सा  ।
इसलिए “नशा” होता है अक्सर  ………… एक मायाजाल ज़िंदगी का   ,
जहां लफ़्ज़ बन जाते हैं कटीले बाण बिन तरकश के   ……… भेदने लक्ष इस सीने का ।
हम भी अक्सर उन्हीं लफ़्ज़ों के तीर के   ……… होकर गुलाम   ,
इसी “नशे” को गाली देते हैं  ………. जब दिल में उठता है तूफ़ान ।
ए “नशे” तेरी जात का है अगर यही   …………  एक बदसूरत सा तराना   ,
तो मत समां ऐसे पुरुष में  ……… जिसे अपनी बात झूठी साबित करने की खातिर  ………. लेना पड़े तेरा सहारा ॥

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