This Hindi poem highlights the issue of Extra Marital Affair in which the other man known as “Humdard” always tried to gain sympathy from the beloved but as such men played only a temporary part in her life so the poetess believed that real person who acted as a “kaatil” in Her Life is much better , though He hurted her feelings but still she wanted to be fair In Her Love with Him.
कोई हमदर्द बन कर रोज़ मेरे ………. ज़ख्मों को भरता है ,
कोई बेरहमी से उन ज़ख्मों का ………. फिर क़त्ल करता है ।
कोई बेरहमी से उन ज़ख्मों का ………. फिर क़त्ल करता है ।
दर्द हर रूप में ……… मेरी रूह में उतर ………. जब जश्न करता है ,
तभी ये उस ज़ख्म देने वाले की ……… और कद्र करता है ।
तभी ये उस ज़ख्म देने वाले की ……… और कद्र करता है ।
हमदर्द तो चार दिनों का ……… एक झूठा सा फ़साना है ,
मगर हकीकत में तो हमें ………. उस ज़ख्म देने वाले की ……… शान~ ए ~ शौकत को निभाना है ।
मगर हकीकत में तो हमें ………. उस ज़ख्म देने वाले की ……… शान~ ए ~ शौकत को निभाना है ।
फिर क्यूँ कहें हमदर्द को हम ……….अपना मसीहा ?
मसीहा के भेष में ही तो ………. जब बेरहम क़ातिल ………. इम्तिहाँ लेने वाला है ।
मसीहा के भेष में ही तो ………. जब बेरहम क़ातिल ………. इम्तिहाँ लेने वाला है ।
सच कहें तो हम फक्र करते हैं कहीं ………. अपनी वफाओं पर ,
जो हर रोज़ अपने कातिल के नाम पर ……… एक पैगाम लिख देती है ।
जो हर रोज़ अपने कातिल के नाम पर ……… एक पैगाम लिख देती है ।
वो जितना ज्यादा दर्द को ………. एक अंजाम दे जाता है ,
ये उतना ज्यादा उसके शौक पर ………. क़ुर्बान हो जाती है ।
ये उतना ज्यादा उसके शौक पर ………. क़ुर्बान हो जाती है ।
ऐसा नहीं है कि हमदर्द पर नहीं है ………. हमको ऐतबार ,
मगर बस क़ातिल की लत के अब ……… हो चुके हैं हम शिकार ।
मगर बस क़ातिल की लत के अब ……… हो चुके हैं हम शिकार ।
इसलिए हमदर्दों से अक्सर हम ………. करते हैं परहेज़ ,
क्योंकि उनकी नीयत अक्सर होती है ………. दिल फ़रेब ।
क्योंकि उनकी नीयत अक्सर होती है ………. दिल फ़रेब ।
इस झूठी दुनिया में ………. हमदर्दों का भला ……… क्या है वास्ता ?
ये तो बस मंज़िल पर पहुँचाने का होते हैं ………एक छोटा सा रास्ता ।
ये तो बस मंज़िल पर पहुँचाने का होते हैं ………एक छोटा सा रास्ता ।
दरअसल काँटों पर तो सबको ……… खुद से ही चलना होगा ,
चाहे उसमे साथ सितमगर का हो ……….तब भी हँस के दर्द सहना होगा ।
चाहे उसमे साथ सितमगर का हो ……….तब भी हँस के दर्द सहना होगा ।
इसलिए मत ढूँढो ……. साथ इस सफर में ……… किसी दूसरे हमदर्द का ,
इन दो पलों की ज़िंदगी में ………सपन देखो हक़ीक़त का ।
इन दो पलों की ज़िंदगी में ………सपन देखो हक़ीक़त का ।
हमने भी अपने हमदर्द को ……… बस एक बहाना है बनाया ,
जिसमे साथ जीने और मरने की ……….कभी कस्म को ना निभाया ।
जिसमे साथ जीने और मरने की ……….कभी कस्म को ना निभाया ।
वफाओं से मुँह मोड़ना ……. होता है ……… बहुत तकलीफ देह सपना ,
इसलिए हो सके तो ………अपने क़त्ल करने वाले के दिल का …………. कभी क़त्ल तुम ना करना ॥
इसलिए हो सके तो ………अपने क़त्ल करने वाले के दिल का …………. कभी क़त्ल तुम ना करना ॥
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