This Hindi poem highlights the scene of the two Lovers when they were apart from each other and the lover was giving assurance to His beloved that He will come to meet her only when the opportunity comes but he was not sure about that particular opportunity.
मौका मिलते ही ……… मैं चला आऊँगा तुमसे मिलने ,
पर पता नहीं कब ?
शायद सो जाएँगे जब सब ……… मौका मिलते ही ।
पर पता नहीं कब ?
शायद सो जाएँगे जब सब ……… मौका मिलते ही ।
मुझे उम्मीद है ………… कि तुम खड़ी होगी वहीँ पर ,
जहाँ पर छोड़ गया था मैं कभी ,
वहीँ पर अभी तक ……… मौका मिलते ही ।
जहाँ पर छोड़ गया था मैं कभी ,
वहीँ पर अभी तक ……… मौका मिलते ही ।
हाँ ,मैं भी याद करता हूँ तुम्हें ……… जैसे करते हैं सब दीवाने ,
बिन कहे घुट-घुट कर ,
कहूँगा सब तुमसे मिलने पर ……… मौका मिलते ही ।
बिन कहे घुट-घुट कर ,
कहूँगा सब तुमसे मिलने पर ……… मौका मिलते ही ।
तन्हाई में तुम्हे बुलाकर ………… करूँ अपनी यादों को तृप्त ,
सुनाकर तुम्हे कोई ग़ज़ल ,
यही है मेरी हक़ीक़त ……… मौका मिलते ही ।
सुनाकर तुम्हे कोई ग़ज़ल ,
यही है मेरी हक़ीक़त ……… मौका मिलते ही ।
मौका मिलते ही ……… मैं बंध जाऊँगा तुम संग ,
पर पता नहीं कब ?
शायद अरमानो में हवाएँ होंगी जब जबरदस्त ……… मौका मिलते ही ।
पर पता नहीं कब ?
शायद अरमानो में हवाएँ होंगी जब जबरदस्त ……… मौका मिलते ही ।
मुझे उम्मीद है ………… कि तुम साथ दोगी मेरा तब ,
जहाँ पर छोड़ गया था मैं कभी ,
उसके आगे गगन तक ……… मौका मिलते ही ।
जहाँ पर छोड़ गया था मैं कभी ,
उसके आगे गगन तक ……… मौका मिलते ही ।
हाँ ,मैंने भी चाहा है तुमको ……… दिल ही दिल में कहीं भटक-भटक ,
सुनाने तुम्हे एक नई तड़प ,
जिसे सीखा है तुमको ही सिखाकर ……… मौका मिलते ही ।
सुनाने तुम्हे एक नई तड़प ,
जिसे सीखा है तुमको ही सिखाकर ……… मौका मिलते ही ।
जीने की राह दिखाकर ………… अब ना चले जाना कहीं फलक तक ,
छीन लूँगा तुम्हे वरना सबकी नज़र चुरा कर तब ,
यही है मेरे इश्क़ की दवा अभी तलक ……… मौका मिलते ही ।
छीन लूँगा तुम्हे वरना सबकी नज़र चुरा कर तब ,
यही है मेरे इश्क़ की दवा अभी तलक ……… मौका मिलते ही ।
मौका मिलते ही ……… मैं कर लूँगा तुम्हे अपनी तरफ ,
पर पता नहीं कब ?
शायद परिस्थितियाँ होंगी जब अनुकूल दोनों तरफ ……… मौका मिलते ही ।
पर पता नहीं कब ?
शायद परिस्थितियाँ होंगी जब अनुकूल दोनों तरफ ……… मौका मिलते ही ।
हाँ ,मैं भी टूट कर बिखर जाता हूँ ……… तुम्हारे संग कहीं जुड़ कर ,
और ये जिस्म तब गर्म होता है दहक-दहक ,
जब मिलन की एक किरण होती है हमारे दरमियाँ अंत तक ……… मौका मिलते ही ।
और ये जिस्म तब गर्म होता है दहक-दहक ,
जब मिलन की एक किरण होती है हमारे दरमियाँ अंत तक ……… मौका मिलते ही ।
यूँ भोला सा इश्क़ सिखाकर ………… अब ना लौट जाना अपने शहर तक ,
मैं हो जाऊँगा वरना बेघर इस तेरे मयखाने से तब ,
क्योंकि मेरे अंदर साँसें भी भरती हैं सिर्फ तेरे वजूद से ही अब ……… मौका मिलते ही ।।
मैं हो जाऊँगा वरना बेघर इस तेरे मयखाने से तब ,
क्योंकि मेरे अंदर साँसें भी भरती हैं सिर्फ तेरे वजूद से ही अब ……… मौका मिलते ही ।।
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