This Hindi poem highlights the mental state of a person who enclosed Himself in a four boundary wall and Love to Live alone with his Own thoughts. In this poem the poetess too tried the same and analyze the cons of this situation but decided to Live like in this manner.
खुद को कर बंद चारदीवारी में ………… मैं अक्सर सोचूँ ,
कि क्यूँ इस तरह से मैं अपने अरमानो का ………… यूँ गला घोंटूँ ?
कि क्यूँ इस तरह से मैं अपने अरमानो का ………… यूँ गला घोंटूँ ?
क्यूँ घुट-घुट के जीने की राह अब …………. पकड़ ली है मैंने ,
क्यूँ इस तरह से जीने की अब मैं ………. ये वजह सोचूँ ?
क्यूँ इस तरह से जीने की अब मैं ………. ये वजह सोचूँ ?
अगले ही पल मुझे लगे कि ये है …………सबसे अजब दुनिया ,
ना है इसमें किसी की जादूगरी ………. ना चापलूसी का जुमला ।
ना है इसमें किसी की जादूगरी ………. ना चापलूसी का जुमला ।
खुद को कर क़ैद अपने ख्यालों में ही ……… बन जाता है कितना अच्छा जीना ,
तब ना किसी की तानाशाही और ना किसी के दुःख पर ………. होता है रोना ।
तब ना किसी की तानाशाही और ना किसी के दुःख पर ………. होता है रोना ।
अपने अंतर्मन के द्वंदों से तब हम …………. अकेले में लड़ते हैं ,
जो पा ना सके जीबन में ……….उस पर विचार करते हैं ।
जो पा ना सके जीबन में ……….उस पर विचार करते हैं ।
जो पा लिया है …………वो लगता है अब कितना अच्छा ,
ऐसी सोच से मन को भरते हैं ………. लिख कोई किस्सा ।
ऐसी सोच से मन को भरते हैं ………. लिख कोई किस्सा ।
खुद को कर बंद चारदीवारी में ………… मैं अक्सर सोचूँ ,
कि क्यूँ इस तरह से मैं अपने अरमानो को ………… उड़ने से रोकूँ ?
कि क्यूँ इस तरह से मैं अपने अरमानो को ………… उड़ने से रोकूँ ?
क़ैद कर देना पहले खुद को …………. किसी बंद कमरे में ,
फिर रँग देना उसकी दीवारों को ………. अपने ही रँग में ।
फिर रँग देना उसकी दीवारों को ………. अपने ही रँग में ।
कल्पनाओं के जहाज़ों को तब …………दिन भर उड़ाना ,
फिर उसी उड़ान की ऊँचाई से ………. गिर कर डर जाना ।
फिर उसी उड़ान की ऊँचाई से ………. गिर कर डर जाना ।
बहुत कठिन हो जाता है तब, खोज़ना खुद को ……… किसी बंद कमरे में ,
जब सपने दिखने भी बंद होने लगें ………खुद से कुछ करने में ।
जब सपने दिखने भी बंद होने लगें ………खुद से कुछ करने में ।
डरने लगते हैं तब हम ………. उन इंसानी चेहरों से ,
जिनकी तुलना किया करते थे कभी ………सागर में उठती लहरों से ।
जिनकी तुलना किया करते थे कभी ………सागर में उठती लहरों से ।
इसलिए जीने की इस नई सोच को ………… मैं अब अपने संग जोडूँ ,
और इसी तरह से जीने की उम्मीद से ……… अपने दिल को मोडूँ ।
और इसी तरह से जीने की उम्मीद से ……… अपने दिल को मोडूँ ।
खुद को कर बंद चारदीवारी में ………… मैं अक्सर सोचूँ ,
कि क्यूँ इस तरह से मैं अपने अरमानो का ………… यूँ गला घोंटूँ ??
कि क्यूँ इस तरह से मैं अपने अरमानो का ………… यूँ गला घोंटूँ ??
No comments:
Post a Comment