This Hindi poem highlights the feelings of a beloved in which she suppressed in front of Her Lover. Though She was eager to enjoy His company but still refused the same and kept calm in front of Him.
फिर से क्यूँ रोक लिया हमने ……जज़्बातों को अपने ,
फिर से क्यूँ ढूँढ लिया तुमने ……. जज़्बातों को मेरे ,
दिल तो करता था कि ……… कह दूँ तुमसे आने को ,
फिर से क्यूँ रोक लिया हमने ……जज़्बातों को अपने ?
फिर से क्यूँ ढूँढ लिया तुमने ……. जज़्बातों को मेरे ,
दिल तो करता था कि ……… कह दूँ तुमसे आने को ,
फिर से क्यूँ रोक लिया हमने ……जज़्बातों को अपने ?
कहने की कुछ हिम्मत होती नहीं ………. तेरे आगे ,
ख्वाइशें दम भर के निकल जाती हैं ……… तेरे आगे ,
दिल तो कहता है कि उड़ने दूँ ……… इन ख्वाइशों को अपनी ,
फिर से क्यूँ रोक दी हमने ……… ये ख्वाइशें तेरे आगे ।
ख्वाइशें दम भर के निकल जाती हैं ……… तेरे आगे ,
दिल तो कहता है कि उड़ने दूँ ……… इन ख्वाइशों को अपनी ,
फिर से क्यूँ रोक दी हमने ……… ये ख्वाइशें तेरे आगे ।
दिल की मुरीद थी कि तू सुनाएगा ……… कोई झूठी कहानी ,
दिल की मुरीद थी कि तू सजाएगा ……… फिर वो सेज़ वीरानी ,
दिल तो करता है कि सजने दूँ ………. एक सेज़ ……… तेरे सपनो के साथ ,
फिर से क्यूँ रोक दी हमने ………. होने वाली थी जो …… मद्धम सी बरसात ।
दिल की मुरीद थी कि तू सजाएगा ……… फिर वो सेज़ वीरानी ,
दिल तो करता है कि सजने दूँ ………. एक सेज़ ……… तेरे सपनो के साथ ,
फिर से क्यूँ रोक दी हमने ………. होने वाली थी जो …… मद्धम सी बरसात ।
मर मिटे हैं देख हम तो तेरे बुलाने की …… अदाओं पर ,
मर मिटे हैं हम अपने फ़ना होने की ……… हक़ीक़त पर ,
दिल तो करता है कि और करीब जाऊँ …….… तुझे पाने को ,
फिर से क्यूँ रोक दिया हमने खुद को ……… तेरे बुलाने पर ।
मर मिटे हैं हम अपने फ़ना होने की ……… हक़ीक़त पर ,
दिल तो करता है कि और करीब जाऊँ …….… तुझे पाने को ,
फिर से क्यूँ रोक दिया हमने खुद को ……… तेरे बुलाने पर ।
वक़्त कहता है कि रोक दे मुझे ……… उसे पाने को ,
वक़्त कहता है कि रोक ना खुद को ………. उसका साथ पाने को ,
वक़्त की बात ना सुनी हमने ……… और बढ़ा दिए कदम आगे ,
फिर से क्यूँ खो दिया हमने अपना वो ख्वाब …………. तुझ संग जल जाने को ।
वक़्त कहता है कि रोक ना खुद को ………. उसका साथ पाने को ,
वक़्त की बात ना सुनी हमने ……… और बढ़ा दिए कदम आगे ,
फिर से क्यूँ खो दिया हमने अपना वो ख्वाब …………. तुझ संग जल जाने को ।
बहुत उदास था ये मन ………. तेरी जी हुज़ूरी को ठुकराकर ,
बहुत प्यासा था ये तन ……… तेरे करीब ना जाकर ,
दिलों की बातें सुनते जो हम …………. तो रोक ना पाते खुद को शायद ,
फिर से क्यों झोंक दिया हमने खुद को अग्नि में …… अपनी चाहतें दबाकर ।
बहुत प्यासा था ये तन ……… तेरे करीब ना जाकर ,
दिलों की बातें सुनते जो हम …………. तो रोक ना पाते खुद को शायद ,
फिर से क्यों झोंक दिया हमने खुद को अग्नि में …… अपनी चाहतें दबाकर ।
फिर से क्यूँ रोक लिया हमने ……जज़्बातों को अपने ,
फिर से क्यूँ ढूँढ लिया तुमने ……. जज़्बातों को मेरे ,
दिल तो करता था कि ……… कह दूँ तुमसे आने को ,
फिर से क्यूँ रोक लिया हमने ……जज़्बातों को अपने ?
फिर से क्यूँ ढूँढ लिया तुमने ……. जज़्बातों को मेरे ,
दिल तो करता था कि ……… कह दूँ तुमसे आने को ,
फिर से क्यूँ रोक लिया हमने ……जज़्बातों को अपने ?
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