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Tuesday, June 2, 2015

Fir Se



This Hindi poem highlights the feelings of a beloved in which she suppressed in front of Her Lover. Though She was eager to enjoy His company but still refused the same and kept calm in front of Him.
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Hindi Love Poem – Fir Se
फिर से क्यूँ रोक लिया हमने ……जज़्बातों को अपने ,
फिर से क्यूँ ढूँढ लिया तुमने ……. जज़्बातों को मेरे ,
दिल तो करता था कि  ……… कह दूँ तुमसे आने को ,
फिर से क्यूँ रोक लिया हमने ……जज़्बातों को अपने ?
कहने की कुछ हिम्मत होती नहीं  ………. तेरे आगे ,
ख्वाइशें दम भर के निकल जाती हैं  ……… तेरे आगे ,
दिल तो कहता है कि उड़ने दूँ  ……… इन ख्वाइशों को अपनी ,
फिर से क्यूँ रोक दी हमने  ……… ये ख्वाइशें तेरे आगे ।
दिल की मुरीद थी कि तू सुनाएगा  ……… कोई झूठी कहानी ,
दिल की मुरीद थी कि तू सजाएगा  ………  फिर वो सेज़ वीरानी ,
दिल तो करता है कि सजने दूँ  ………. एक सेज़ ……… तेरे सपनो के साथ ,
फिर से क्यूँ रोक दी हमने ………. होने वाली थी जो  …… मद्धम सी बरसात ।
मर मिटे हैं देख हम तो तेरे  बुलाने की …… अदाओं पर ,
मर मिटे हैं हम अपने फ़ना होने की  ……… हक़ीक़त पर ,
दिल तो करता है कि और करीब जाऊँ  …….… तुझे पाने को ,
फिर से क्यूँ रोक दिया हमने खुद को  ……… तेरे बुलाने पर ।
वक़्त कहता है कि रोक दे मुझे  ……… उसे पाने को ,
वक़्त कहता है कि रोक ना खुद को ………. उसका साथ पाने को ,
वक़्त की बात ना सुनी हमने  ……… और बढ़ा दिए कदम आगे ,
फिर से क्यूँ खो दिया हमने अपना वो ख्वाब  …………. तुझ संग जल जाने को ।
बहुत उदास था ये मन  ………. तेरी जी हुज़ूरी को ठुकराकर ,
बहुत प्यासा था ये तन  ……… तेरे करीब ना जाकर ,
दिलों की बातें सुनते जो हम …………. तो रोक ना पाते खुद को शायद ,
फिर से क्यों झोंक दिया हमने खुद को अग्नि में …… अपनी चाहतें दबाकर ।
फिर से क्यूँ रोक लिया हमने ……जज़्बातों को अपने ,
फिर से क्यूँ ढूँढ लिया तुमने ……. जज़्बातों को मेरे ,
दिल तो करता था कि  ……… कह दूँ तुमसे आने को ,
फिर से क्यूँ रोक लिया हमने ……जज़्बातों को अपने ?

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