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Tuesday, June 9, 2015

A Write-Up For You



This Hindi love poem describes the thoughts of a beloved in which She wrote about those moments that She spent with Her Lover.
woman-love-write
Hindi Love Poem – A Write-Up For You
कहीं से कागज़ ,कहीं से ले कलम उधार  ……… हम फिर से लिखने बैठे ,
उन्हीं  बातों को , उन्ही ख्यालों को  …………  जो तुझे कभी तन्हाई में थे कह बैठे ।
आज वक़्त नहीं है तेरे पास  ………. मेरी तन्हाई में आने का सितमगर ,
तो  क्या हुआ , हम तब भी तुझे  ……….  अपनी तन्हाई में ,  फिर से जोड़ बैठे ।
तूने  हर बार हमसे , वादों को ना निभाने की  ……… अर्ज़ी जो कभी की थी ,
देख आज हम तेरी अर्ज़ी को पारित कर …………  उस पर एक मोहर लगा बैठे ।
तूने उस वक़्त हमारा हाथ था थामा  ……… जब हम बेज़ार हो चुके थे ,
आज बन गुलज़ार तेरी चाहत से हम  …………  तुझ पर फक्र फिर कर बैठे ।
ये ज़िंदगी है दो दिनों की ………. इसमें किसी के साथ का क्या है कोई मोल ?
बस जितने भी पल संग जिए थे  ……….  उन्हीं पलों को हम एक तस्वीर बना बैठे ।
तूने हिम्मत थी हमें जो दिखाई   ……… उसका करना है तुझे शुक्रिया  ,
तेरी उस हौसला अफ़ज़ाई को अब अपने दिल की …………  हम एक ताक़त बना बैठे ।
तेरी सोच को अपनी सोच से मिला ………. कर दिया है अब हमने हँगामा  ,
आज उसी हँगामे में तुझे याद करके  ……….  हम फिर से लिखने बैठे ।
तेरा साथ हो या ना हो मगर  ………अब तू हर कदम साथ ही चलता है  ,
तेरे संग अब अपने क़दमों को मिला  …………  हम तेरे कद को नापने बैठे ।
हम किस्से , कहानियों में डूब अक्सर  ………. तुझे बहुत याद किया करते हैं ,
और फिर याद आने पर तुझे अपनी कहानियों का  ……….  हर बार “नायक” हैं बना बैठे  ।
तुझ पर लिखना कुछ भी हमें  ………बहुत अच्छा लगता है  ,
तभी तो देख तेरी-मेरी मुलाक़ातों को  …………  हम हर बार एक कहानी बना बैठे ।
कहानियों का अंत अक्सर   ………. बहुत सुखद सा होता है ,
हम भी अपने सुखद अंत का   ……….  एक नया प्रारूप बना बैठे  ।
कहीं से कागज़ ,कहीं से ले कलम उधार  ……… हम फिर से लिखने बैठे ,
उन्हीं  बातों को , उन्ही ख्यालों को  …………  जो तुझे कभी तन्हाई में थे कह बैठे ।।

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