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Thursday, May 28, 2015

Family Tree – A Facebook Identity

This Hindi poem highlights the human feelings that is dying in this changing era as now a days the relations are cutting off very frequently and people are happy with the new persons which they entertained on the social networking sites.
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Hindi Poem – Family Tree – A Facebook Identity
कक्षा तीन में पढ़ रहा “प्रणव”….कल आकर के अपनी माँ से बोला ,
माँ मुझे भी बनवा दे तू …….अपने परिवार के वृक्ष का हिंडोला ।
माँ ने झटपट से ……..कागज़ पर एक चित्र बनाया ,
अपने परिवार वालों के वहाँ नाम लिख …….पिता के परिवार वालों के लिए थोडा Space बचाया ।
बोली नाम इनके मालूम नहीं …….तुम शाम को पापा से भरवा लेना ,
टीचर पूछे गर परिवार के बारे में तो कहना …. कि बड़े से परिवार की छत्र छाया है अपना गहना ।
देखना तुम्हे जरूर प्रथम स्थान मिलेगा …….जब बड़े से परिवार का जिक्र वहाँ हर कोई सुनेगा ,
क्योंकि सम्मिलित परिवारों की अब दुर्दशा आ चुकी है ….और एकाकी परिवारों की हस्ती लिखी जा चुकी है ।
शाम को पापा ने आकर बड़ी मुश्किल से बाप-दादायों के नाम निकाले ….और कर दिए उनको कागज़ के हवाले ,
बोले सत्यानाश हो इन स्कूल वालो का …..जो आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में भी ….करवाते हैं स्याही से ये पृष्ठ काले ।
अगले दिन “प्रणव” जाकर टीचर से बोला ….कि मैडम अपने परिवार का तो हर शख्स ही ……है बहुत भोला ,
परिवार तो है मैडम मेरा बहुत ही विशाल ….मगर लोग उसके रहते हैं सब ….नदिया के विपरीत ताल ।
टीचर समझ गई …कि यहाँ भी है सारी Grading की चाटुकरी ,
इसलिए तुरंत बोली कि कल लगाकर आना ……यहाँ पर परिवारवालों की फोटो बड़ी-बड़ी ।
घर पहुँच कर “प्रणव” ने जैसे ही ये बात माँ को बताई …….माँ के तो एकदम से होश उड़ने जैसी बारी आई ,
बोली बड़ी मुश्किल से तो इन नामों को सुझाया था ……अब फोटो के लिए मैडम ने ये शादी का एल्बम खुलवाया था ।
जैसे-तैसे दोनो परिवार वालों को ……वहाँ से हटाकर नोटबुक में चिपकाया ,
“प्रणव” बस A Grade ले आए …..यही सोच इस Family Tree को सजाया ।
एल्बम की फोटो लगी देख …..मैडम का फिर से माथा ठनकाया ,
और अबकी बार उसने सारे परिवार वालों से मिलने का …..फरमान जारी कराया ।
घर पहुँचने के बाद जब माँ-बाप ने जानी …….मैडम की ये अनोखी चाल ,
तब सोच में पड़ गए दोनों कि कहाँ से बुनेंगे अब ……परिवारवालों के चेहरों का जाल ।
इस कलयुग में रिश्तों के मायने ही ……अब बाकी कहाँ थे ,
माँ-बाप से लेकर …..सारे रिश्तेदार ही फ़ना थे ।
मगर फिर अचानक से एक बवाल आया …….उन अनगिनत रिश्तों का ख़याल आया ,
जो रोज़ Facebook पर बनते जाते हैं ….और अपनों से ज्यादा दिल लगाते हैं ।
बस तुरंत ही अपनी FB की login का Id दबाया …..और देखते ही देखते वहाँ हज़ारों रिश्तों को अपनी List में पाया ,
किसी को चाचा तो किसी को मामा कहकर मिलवाया …….और जो समझ ना आया उसे दादा- नाना के Tag से सजाया ।
दादी-नानी ,मौसी-बुआ ……..ढेरों रिश्ते खड़े थे वहाँ थामे हाथ  ,
फिर काहे की टेंशन लें …..बुलाकर रिश्तेदारों को अपने घर एक -साथ ।
‘प्रणव” को दिखाकर सब चेहरे उसे साथ ये भी समझाया ………कि जाकर कहना अपनी मैडम से इस बार ,
कि समय की कमी के कारण ……मैं Facebook से ही देख पाया अपना सब परिवार ।
मैडम ने जब सुनी कहानी …….”प्रणव” की जुबान से ,
तब इतना तो वो भी समझ गई …..कि Facebook पर कभी नहीं मिलते …..परिवारवाले इतनी शान से ।
बोली बेटा Grade आपको C मिला है …इसमें आपका ना कोई कसूर है ,
बस रिश्तों का महत्व अब Facebook पर है ज्यादा …….और ये सब Social Networking Sites की भूल है ॥

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