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Wednesday, April 29, 2015

A Hope

In this Hindi poem the Lover Has gone for some days and the poetess is expressing Her feels regarding the Hope which she retains of coming back.

woman-back
Hindi Love Poem – A Hope

अभी तो गए हुए तुझे कुछ घंटे हुए ….
देख तेरे आने की उम्मीद में ,
हम वक़्त से खफा होने लगे ।

अभी तो तुझसे गपशप किए हुए कुछ पल बीते ….
देख तेरे लफ़्ज़ों को सुनने के लिए ,
हम बेख़ौफ़ से अपने मोबाइल को कानों पर लगा तड़पने लगे ।

अभी तो धड़कनों ने धड़कना सीखा …..
देख उन्हें धड़काने के लिए ,
हम तेरी तस्वीर को सीने पर रखने लगे ।

अभी तो तेरे लफ़्ज़ों की तपिश भी बाकी थी यहाँ ……
देख उन्हें अंगारे बनाने के लिए ,
हम तेरे “वजूद” के लिए तरसने लगे ।

अभी तो तूने सिर्फ इतना कहा था कि तू जाएगा …..
देख मेरी पलकों पर बिछे आँसू ,
बिन बादल के ही बरसने लगे ।

अभी तो तूने मेरा हाथ थामा था …..
देख उस हाथ की लकीरों में ,
ना जाने कितनी बार तेरा अक्स छुपा हँसने लगे ।

अभी तो अपने नाम में तेरे नाम का अक्षर ढूँढा था …..
देख उस अक्षर के सिर्फ मेल से ही ,
अपने जीवन की डोर तेरे संग बाँध के चलने लगे ।

अभी तो ये पाया था कि तू मेरा विश्वास है …..
देख उस विश्वास के सतरंगी इन्द्रधनुष के ,
सातों रंगों को अपने मन में भरने लगे ।

अभी तो तुझसे सीखा था चाहतों का रंगीन सफ़र …..
देख उस सफर को एक नई गति देने के लिए ,
अपनी बाहें फैला तुझसे आलिंगन को तरसने लगे ।

अभी तो पहने थे अपने हाथों में कंगन रंग-बिरंगे …..
देख उन कंगनों की खनक अपनी कलाई पर महसूस कर ,
धीमे-धीमे से तेरे बिस्तर पर बजा थिरकने लगे ।

अभी तो सजाई थी अतरंग क्षणों की मधुर बेला ……
देख उस बेला में फैली खुशबू को ,
उड़ने के डर से खुद को कमरे में बंद करने लगे ।

अभी तो गए हुए तुझे कुछ घंटे हुए ……
देख उन घंटों को ना जाने कब हज़ार सालों में तब्दील कर ,
बिछड़ने के ख्याल से ही डरने लगे ॥

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