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Wednesday, March 4, 2015

Apna-Apna Aashiyaan



clay work hands
Hindi Poem on Generation Gap- Apna-Apna Aashiyaan

अभी कुछ महीने ही बीते थे ……एक युवा दम्पत्ति की नयी शादी को ,
मगर तमाशबीन पहले से ही जमा थे …..देखने फिर से किसी की बर्बादी को ।

इस बार भी हर बार की तरह ……..दोनों पीढ़ियों में ढेरों विवाद थे ,
नए ज़माने की सोच से पनप रहे …….नए -नए विषैले संवाद थे ।

एक ओर नौकरी और गृहस्थी के बोझ से दबी ……..सुकन्या रुपी नारी थी ,
तो दूसरी ओर उसके बूढ़े सास-ससुर की ………वही घिसी-पिटी रोने की बीमारी थी ।

उन दोनों के बीच पिस रहा ……नए ज़माने का बाँका जवान था ,
जो दोनों तरफ से Adjust करना का ……..एक Licensed सामान था ।

नवयुगल एक ओर अपनी थकान और मानसिक व्यथा का ……बखान गा रहे थे ,
तो दूसरी ओर बुजुर्ग उनपर ……गृहस्थी का बोझ न ढोने की ……तोहमत लगा रहे थे ।

नवयुगल भी उनसे व्यथित होकर …….अपना घर बसाने की ताक में लगे थे ,
उधर बुजुर्ग भी अपनी जवानी के लम्हे ……”ब्याज” समेत उनसे वसूलने में लगे थे ।

विचारों का ऐसा मतभेद ……..मानो अब सबको …..एक साथ हड़पने लगा था ,
जब शादी के दूसरे दिन से ही ………दोनों पीढ़ियों का अलगाव …….खुद~ब~खुद पनपने लगा था ।

पहले जिस अलगाव में …….बीसियों साल बाद भी ……एक प्यार भरे ज़ज्बात छिपे होते थे ,
वहीँ अब उस स्थिति के आने पर ……Advance Booking  के Contract Note …….मेज पर पहले ही पड़े होते थे ।

जब ऐसी स्थिति का आभास …….हम अब पहले से ही महसूस किया करते हैं ,
तो फिर क्यों ऐसे रिश्तों को जबरदस्ती अपने संग जोड़कर ………जगहंसाई का पात्र बना करते हैं ।

इसलिए नए ज़माने की नयी सोच को ……बेहतर है जो समय रहते ही समझ जाएँ हम ,
अपने बेटे की शादी के अगले दिन से ही …….एक “किराएदार” और “मकान -मालिक ” की भाँति …….अपना-अपना आशियाँ सजायें हम ।।

A Message To All-
Its better to Live in Peace,
Instead of daily mental Tease,
To Live Happily and Apart,
If the “Generation Gap” clashes start.

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