This Hindi poem is tribute to Indian soldier Sarabjeet. Poet is
giving warning to those who are responsible for his brutal and barbaric
murder.
कायर है दुश्मन देखो …..उसने जीत कर भी क्या जीता ,
हमारा “जीत” ऐसा था ….जिसने सारे देश का है दिल जीता ।
एक और बार नामर्दी की …..सूरत दिखा दी उसने अपनी ,
एक और बार वहशी बन …..हैवानियत दिखा दी फिर अपनी ।
यहाँ हर देशवासी दे रहा है ….तुझको इतनी बद्ददुआएँ ,
ज़रा कलमा पढ़कर देख …..तेरा खुदा भी दे रहा है सदाएँ ।
तू चाल चल-चल कर ….. थक जाएगा ए बदनसीब ,
पर याद रख वो दिन भी आएगा ……कभी मेरे हबीब ।
जब तेरी कौम ~ए ~आवाम को …..यहाँ हम क़त्ल कर लौटाएँगे ,
एक नहीं …..दो नहीं …..हज़ार प्यादे तुझे दिखलाएँगे ।
तू अपनी जात पर रोएगा तब ….और पूछेगा खुद से ये सवाल ,
कि क्यूँ बन गया था मैं नमक हराम ……करके मासूम को हलाल ।
बहुत बेबस किया तूने मेरे …….देश के उस “जीत” को ,
कभी फुर्सत में हम भी निभाएँगे ……तेरी चलाई इस रीत को ।
इंसानियत को खत्म करने का …..भेज रहा है तू जो पैगाम ,
उस पैगाम से धीरे -धीरे …..बढ़ रहा है जूनून ~ए ~कुर्बान ।
हम खुश हैं तेरी मर्दानगी पे …..जो बिन बादल के बरस रही है ,
कम से कम जब बादल गरजेगा …..तब तो तेरी अंतिम घड़ी है ।
अपने नापाक इरादों से …..तू सालों से जाना जा रहा है ,
तभी तो तेरे नाम का पहला शब्द ……”पाक” होने की दुहाई दे रहा है ।
तू सम्बन्धों और मित्रता की …..बात क्या करता है हमसे ,
अरे तेरे देशवासियों को तो ……हम Delete करते हैं रोज़ Facebook से ।
तेरी ऐसी छवि बन गयी है ….कि तेरे मुल्कवासी भी आज रो रहे हैं ,
कभी Twitter पर ,कभी Orkut पर …..हमसे मित्रता के सपने संजो रहे हैं ।
कसूर उन बेचारों का नहीं …..कसूर तेरे नापाक इरादों का है ,
जो हमारे टुकड़ों पर पल कर आज …..हमी को ऐसे काट रहा है ।
याद रख ये जंग ~ए ~एलान …….तुझे सच में बहुत महँगा पड़ेगा ,
कि जो शब्द हमने आज लिखे हैं …..उन्हें पढ़ कर कल तेरा देश खुद हँसेगा ।
ये श्रधांजलि है मेरी ……मेरे वीर “सरबजीत” के नाम ,
जिसकी शहादत का हिसाब चुकाने …..खड़ा है आज सारा हिन्दुस्तान ॥
कायर है दुश्मन देखो …..उसने जीत कर भी क्या जीता ,
हमारा “जीत” ऐसा था ….जिसने सारे देश का है दिल जीता ।
एक और बार नामर्दी की …..सूरत दिखा दी उसने अपनी ,
एक और बार वहशी बन …..हैवानियत दिखा दी फिर अपनी ।
यहाँ हर देशवासी दे रहा है ….तुझको इतनी बद्ददुआएँ ,
ज़रा कलमा पढ़कर देख …..तेरा खुदा भी दे रहा है सदाएँ ।
तू चाल चल-चल कर ….. थक जाएगा ए बदनसीब ,
पर याद रख वो दिन भी आएगा ……कभी मेरे हबीब ।
जब तेरी कौम ~ए ~आवाम को …..यहाँ हम क़त्ल कर लौटाएँगे ,
एक नहीं …..दो नहीं …..हज़ार प्यादे तुझे दिखलाएँगे ।
तू अपनी जात पर रोएगा तब ….और पूछेगा खुद से ये सवाल ,
कि क्यूँ बन गया था मैं नमक हराम ……करके मासूम को हलाल ।
बहुत बेबस किया तूने मेरे …….देश के उस “जीत” को ,
कभी फुर्सत में हम भी निभाएँगे ……तेरी चलाई इस रीत को ।
इंसानियत को खत्म करने का …..भेज रहा है तू जो पैगाम ,
उस पैगाम से धीरे -धीरे …..बढ़ रहा है जूनून ~ए ~कुर्बान ।
हम खुश हैं तेरी मर्दानगी पे …..जो बिन बादल के बरस रही है ,
कम से कम जब बादल गरजेगा …..तब तो तेरी अंतिम घड़ी है ।
अपने नापाक इरादों से …..तू सालों से जाना जा रहा है ,
तभी तो तेरे नाम का पहला शब्द ……”पाक” होने की दुहाई दे रहा है ।
तू सम्बन्धों और मित्रता की …..बात क्या करता है हमसे ,
अरे तेरे देशवासियों को तो ……हम Delete करते हैं रोज़ Facebook से ।
कभी Twitter पर ,कभी Orkut पर …..हमसे मित्रता के सपने संजो रहे हैं ।
कसूर उन बेचारों का नहीं …..कसूर तेरे नापाक इरादों का है ,
जो हमारे टुकड़ों पर पल कर आज …..हमी को ऐसे काट रहा है ।
याद रख ये जंग ~ए ~एलान …….तुझे सच में बहुत महँगा पड़ेगा ,
कि जो शब्द हमने आज लिखे हैं …..उन्हें पढ़ कर कल तेरा देश खुद हँसेगा ।
ये श्रधांजलि है मेरी ……मेरे वीर “सरबजीत” के नाम ,
जिसकी शहादत का हिसाब चुकाने …..खड़ा है आज सारा हिन्दुस्तान ॥
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