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Thursday, March 5, 2015

A Shradhanjali To “Sarabjeet” – A Message For His ASSASSIN

This Hindi poem is tribute to Indian soldier Sarabjeet. Poet is giving warning to those who are responsible for his brutal and barbaric murder.
two-candle
A Shradhanjali To “Sarabjeet” – A Message For His ASSASSIN

कायर है दुश्मन देखो …..उसने जीत कर भी क्या जीता ,
हमारा “जीत” ऐसा था ….जिसने सारे देश का है दिल जीता ।

एक और बार नामर्दी की …..सूरत दिखा दी उसने अपनी ,
एक और बार वहशी बन …..हैवानियत दिखा दी फिर अपनी ।

यहाँ हर देशवासी दे रहा है ….तुझको इतनी बद्ददुआएँ ,
ज़रा कलमा पढ़कर देख …..तेरा खुदा भी दे रहा है सदाएँ ।

तू चाल चल-चल कर ….. थक जाएगा ए बदनसीब ,
पर याद रख वो दिन भी आएगा ……कभी मेरे हबीब ।

जब तेरी कौम ~ए ~आवाम  को …..यहाँ हम क़त्ल कर लौटाएँगे ,
एक नहीं …..दो नहीं …..हज़ार प्यादे तुझे दिखलाएँगे ।

तू अपनी जात पर रोएगा तब ….और पूछेगा खुद से ये सवाल ,
कि क्यूँ बन गया था मैं नमक हराम ……करके मासूम को हलाल ।

बहुत बेबस किया तूने मेरे …….देश के उस “जीत” को ,
कभी फुर्सत में हम भी निभाएँगे ……तेरी चलाई इस रीत को ।

इंसानियत को खत्म करने का …..भेज रहा है तू जो पैगाम ,
उस पैगाम से धीरे -धीरे …..बढ़ रहा है जूनून ~ए ~कुर्बान ।

हम खुश हैं तेरी मर्दानगी पे …..जो बिन बादल के बरस रही है ,
कम से कम जब बादल गरजेगा …..तब तो तेरी अंतिम घड़ी है ।

अपने नापाक इरादों से …..तू सालों से जाना जा रहा है ,
तभी तो तेरे नाम का पहला शब्द ……”पाक” होने की दुहाई दे रहा है ।

तू सम्बन्धों और मित्रता की …..बात क्या करता है हमसे ,
अरे तेरे देशवासियों को तो ……हम Delete करते हैं रोज़ Facebook से ।

तेरी ऐसी छवि बन गयी है ….कि तेरे मुल्कवासी भी आज रो रहे हैं ,
कभी Twitter पर ,कभी Orkut पर …..हमसे मित्रता के सपने संजो रहे हैं ।

कसूर उन बेचारों का नहीं …..कसूर तेरे नापाक इरादों का है ,
जो हमारे टुकड़ों पर पल कर आज …..हमी को ऐसे काट रहा है ।

याद रख ये जंग ~ए ~एलान …….तुझे सच में बहुत महँगा पड़ेगा ,
कि जो शब्द हमने आज लिखे हैं …..उन्हें पढ़ कर कल तेरा देश खुद हँसेगा ।

ये श्रधांजलि है मेरी ……मेरे वीर “सरबजीत” के नाम ,
जिसकी शहादत का हिसाब चुकाने …..खड़ा है आज सारा हिन्दुस्तान ॥

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