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Sunday, March 15, 2015

A Lesson From Age

This Hindi poem tells that one should always remember his passing age and took some lessons from it as age and life teaches us many things.

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Hindi Poem – A Lesson From Age

उम्र ने सिखा दिया जीना …..अब नहीं ये दिल करता है ,
कि बिछौना मखमल का हो …..क्योंकि फर्श पर ही अब नींद का डेरा लगता है ।

उम्र ने सिखा दिया जीना ……अब नहीं होती ख्वाइश पकवानों की ,
रूखी-सूखी जो भी मिल जाए …..उससे ही पेट को भरना पड़ता है ।

उम्र ने सिखा दिया जीना …….कैसे ख्वाइशों को मन की दबाएँ ?
कामनाएँ गर अपना सर भी उठाती …..तो भी उनको कुचलना पड़ता है ।

उम्र ने सिखा दिया जीना …..पैसा है सिर्फ एक मोह और चाहत ,
बिन पैसों के भी तो शायद …..साँसों को चलना पड़ता है ।

उम्र ने सिखा दिया जीना …..क्यूँ द्वेष भरे भाव धरें हम ?
कल तक थे जो देख पराए …..अब उनको ही अपनाना पड़ता है ।

उम्र ने सिखा दिया जीना …..पारिवारिक सुख एक झूठ नहीं ,
ये सब बंधन होते हैं अटूट …..तभी गृहस्थ आश्रम में सबको बंधना पड़ता है ।

उम्र ने सिखा दिया जीना …..मत याद करो जाने वालों को ,
कब तक अश्कों से पेट भरोगे …..इस कड़वे घूँट को भी पीना पड़ता है ।

उम्र है एक तजुर्बा ……जिसके गुजरने पर धीरे-धीरे ,
इच्छाएँ मरने लगती हैं ……क्योंकि तब अपने आज को समझना पड़ता है ।

बहुत कम लोग होते हैं इस जहान में …..जो अपनी गुजरती उम्र को …..अपने ज़हन में रखते ,
जो भुलावे में भटकते रहते ……उन्हें एक दिन बहुत तेज़ धक्का लगता है ।

उम्र होती है बड़ी ही नादान …..जो चुप-चाप से गुज़र जाती है ,
मगर सीखने वालों को अक्सर …..उसके पाँवों को पकड़ना पड़ता है ।

उम्र ने सिखा दिया जीना ……कि जिंदगी सिर्फ एक खेल है ,
जहाँ जीतने वाले तो फिर से दौड़ेंगे …….इसलिए उनकी जीत का भी जश्न करना पड़ता है ।

उम्र ने सिखा दिया जीना ……अब नहीं ये दिल करता है ,
कि पहचाने ज़माना हमें भी कभी …..क्योंकि अब हर पहचान से डर लगता है ॥

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