This Hindi poem highlights the situation of the poetess when she was very depressed due to some altercation with His husband and to get rid of such situation she demanded the liquor for the same as she thought that only two pegs will become a good medicine for Her depression.
गम~ ए~ तन्हाई में …………. दो घूँट पिला दे साकी ,
नशा फ़िर इतना चढ़ जाए ……… कि दिल में ना रहे ……… कुछ और बाक़ी ।
नशा फ़िर इतना चढ़ जाए ……… कि दिल में ना रहे ……… कुछ और बाक़ी ।
दिल तो बर्बाद एक किनारा है ………. जिसका कोई ठौर नहीं ,
कभी ये जलते कभी बुझते दिये की ……… लौ है बनी ।
कभी ये जलते कभी बुझते दिये की ……… लौ है बनी ।
गम~ ए~ तन्हाई में …………. दो गीत सुना दे साकी ,
नशा फ़िर इतना चढ़ जाए ……… कि दिल में ना रहे ……… कुछ और बाक़ी ।
नशा फ़िर इतना चढ़ जाए ……… कि दिल में ना रहे ……… कुछ और बाक़ी ।
गम ऐसा लगा इस दिल को ……… कि जाता ही नहीं ,
जितना दूर करें इसको ………. उतना नशा फ़िर छाता ही नहीँ ।
जितना दूर करें इसको ………. उतना नशा फ़िर छाता ही नहीँ ।
गम~ ए~ तन्हाई में …………. दो अश्क़ बहाने दे साकी ,
नशा फ़िर इतना चढ़ जाए ……… कि दिल में ना रहे ……… कुछ और बाक़ी ।
नशा फ़िर इतना चढ़ जाए ……… कि दिल में ना रहे ……… कुछ और बाक़ी ।
दर्द~ ए ~ दिल कोई सज़ा नहीं ………. जो कभी भी छेड़ें ,
ये तो वो ज़ख्म है ……… जो खुलकर और दर्द देवे ।
ये तो वो ज़ख्म है ……… जो खुलकर और दर्द देवे ।
गम~ ए~ तन्हाई में …………. दो कदम संग ही ……तू चल मेरे साकी ,
नशा फ़िर इतना चढ़ जाए ……… कि दिल में ना रहे ……… कुछ और बाक़ी ।
नशा फ़िर इतना चढ़ जाए ……… कि दिल में ना रहे ……… कुछ और बाक़ी ।
जितना सोचें उतना भँवर मैं ………. और डूबे जाएँ ,
कैसे उस मंज़र को अपने ……… अब और करीब ना लाएँ ।
कैसे उस मंज़र को अपने ……… अब और करीब ना लाएँ ।
गम~ ए~ तन्हाई में …………. दो ज़ाम की अर्जी है साकी ,
नशा फ़िर इतना चढ़ जाए ……… कि दिल में ना रहे ……… कुछ और बाक़ी ।
नशा फ़िर इतना चढ़ जाए ……… कि दिल में ना रहे ……… कुछ और बाक़ी ।
साथ चलने की जो खाई ना होतीं …… कसमें तुमसे कभी ,
तो कब का छोड़ के चल देते ……… तुम्हारा ठौर यहीं ।
तो कब का छोड़ के चल देते ……… तुम्हारा ठौर यहीं ।
गम~ ए~ तन्हाई में …………. दो क़दमों का बल अब दे साकी ,
नशा फ़िर इतना चढ़ जाए ……… कि दिल में ना रहे ……… कुछ और बाक़ी ।
नशा फ़िर इतना चढ़ जाए ……… कि दिल में ना रहे ……… कुछ और बाक़ी ।
खुद की हस्ती को मिटाने की ………. लाख कोशिशें की ,
मगर अपने ही जिगर के टुकड़ों के लिए ………. ये ज़िंदगी जी ।
मगर अपने ही जिगर के टुकड़ों के लिए ………. ये ज़िंदगी जी ।
गम~ ए~ तन्हाई में …………. दो टुकड़ों में बँट गई मैँ साकी ,
नशा फ़िर इतना चढ़ जाए ……… कि दिल में ना रहे ……… कुछ और बाक़ी ।
नशा फ़िर इतना चढ़ जाए ……… कि दिल में ना रहे ……… कुछ और बाक़ी ।
गम तो आना-जाना ……… एक अँधेरा सा है ,
आज बादल है सामने …… तो कल सवेरा सा है ।
आज बादल है सामने …… तो कल सवेरा सा है ।
गम~ ए~ तन्हाई में …………. दो घूँट ही दवा है साकी ,
नशा फ़िर इतना चढ़ जाए ……… कि दिल में ना रहे ……… कुछ और बाक़ी ।।
नशा फ़िर इतना चढ़ जाए ……… कि दिल में ना रहे ……… कुछ और बाक़ी ।।
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