This Hindi poem highlights the social problem of common mass when they are eager to know the reason behind every good act of a kind person. Through this poem the poetess is highlighting the message which she is giving to the general mass that this is the right way to take some primary step i.e a look ahead from a common man.
लोग पूछते हैं मुझसे ………
कि क्या होगा बोलो इससे ?
जो तुम इस तरह से जनता के बीच जाकर ,
अपनी आवाज़ उठाते हो ,
इन भ्रष्टाचारियों का Sting बनाकर ,
Google पर सबको दिखाते हो ।
कि क्या होगा बोलो इससे ?
जो तुम इस तरह से जनता के बीच जाकर ,
अपनी आवाज़ उठाते हो ,
इन भ्रष्टाचारियों का Sting बनाकर ,
Google पर सबको दिखाते हो ।
लोग पूछते हैं मुझसे ………
कि क्या होगा बोलो इससे ?
जो तुम इस तरह से अपनी जवानी को ,
बुढ़ापे में बदलते जाते हो ,
बिना किसी मेहनताने के ही ,
दिन~ब~ दिन अपनी श्रम शक्ति को यूँही लगाते जाते हो ।
कि क्या होगा बोलो इससे ?
जो तुम इस तरह से अपनी जवानी को ,
बुढ़ापे में बदलते जाते हो ,
बिना किसी मेहनताने के ही ,
दिन~ब~ दिन अपनी श्रम शक्ति को यूँही लगाते जाते हो ।
लोग पूछते हैं मुझसे ………
कि क्या होगा बोलो इससे ?
जो तुम आम जनता के ठेकेदार बन ,
अपनी गृहस्थी को समय नहीं दे पाते हो ,
एक आंदोलनकारी की भाँति रोज़ ,
आंदोलन की मुहीम छेड़ सड़कों पर उतर आते हो ।
कि क्या होगा बोलो इससे ?
जो तुम आम जनता के ठेकेदार बन ,
अपनी गृहस्थी को समय नहीं दे पाते हो ,
एक आंदोलनकारी की भाँति रोज़ ,
आंदोलन की मुहीम छेड़ सड़कों पर उतर आते हो ।
लोग पूछते हैं मुझसे ………
कि क्या होगा बोलो इससे ?
जो तुम सत्ता के लोभियों को नंगा कर ,
उन्हें आइना दिखाकर मुस्कुराते हो ,
बेवजह ही दुश्मनी उनसे मोल ले ,
आग से रोज़ खेल जाते हो ।
कि क्या होगा बोलो इससे ?
जो तुम सत्ता के लोभियों को नंगा कर ,
उन्हें आइना दिखाकर मुस्कुराते हो ,
बेवजह ही दुश्मनी उनसे मोल ले ,
आग से रोज़ खेल जाते हो ।
तब मैं सोच में पड़ जाती हूँ ,
अपने देश के लोगों की मानसिकता पर थोड़ा तरस खाती हूँ ,
कि अगर इस तरह की सोच को लेकर के हम जियेंगे ,
तो फिर कैसे भला इस देश की रक्षा करेंगे ?
ये देश हम जैसे लोगों से ही तो आबाद है ,
तभी तो यहाँ पर आज भी स्वराज है ।
अपने देश के लोगों की मानसिकता पर थोड़ा तरस खाती हूँ ,
कि अगर इस तरह की सोच को लेकर के हम जियेंगे ,
तो फिर कैसे भला इस देश की रक्षा करेंगे ?
ये देश हम जैसे लोगों से ही तो आबाद है ,
तभी तो यहाँ पर आज भी स्वराज है ।
अगर इस तरह के सवाल लोग मुझसे उठाएँगे ,
तो बहुत जल्द सब लोग अपने बिल में घुसते नज़र आएँगे ,
तब ना ही कोई तंत्र होगा और ना ही देश स्वतंत्र होगा ,
बस जिसकी लाठी उसकी भैंस जैसे मुहावरे यहाँ जगह बनाएँगे ,
और आम आदमी बिन सोच के ही ……
गुलामी करते-करते अपनी मौत को गले लगाएँगे ।
तो बहुत जल्द सब लोग अपने बिल में घुसते नज़र आएँगे ,
तब ना ही कोई तंत्र होगा और ना ही देश स्वतंत्र होगा ,
बस जिसकी लाठी उसकी भैंस जैसे मुहावरे यहाँ जगह बनाएँगे ,
और आम आदमी बिन सोच के ही ……
गुलामी करते-करते अपनी मौत को गले लगाएँगे ।
मैंने तब ठान लिया ,
कि जवाब लोगों को देकर रहूँगी ,
“क्या होगा बोलो इससे” ……
इस बात का उत्तर उनके समक्ष रखूँगी ,
अपने अंतर्मन में ढूँढने एक उत्तर की तलाश ,
मैंने जाग कर गुज़ारी तब अपनी सारी रात ।
कि जवाब लोगों को देकर रहूँगी ,
“क्या होगा बोलो इससे” ……
इस बात का उत्तर उनके समक्ष रखूँगी ,
अपने अंतर्मन में ढूँढने एक उत्तर की तलाश ,
मैंने जाग कर गुज़ारी तब अपनी सारी रात ।
सुबह उनके सवालों का जवाब लिए ,
मैं अपनी कलम को चलाने लगी ,
देने को एक सन्देश नया ,
उन्हें अपने सन्देश से लुभाने लगी ,
मैंने कहा ,” सुनो मेरे देशवासियों ,अब सुनो अपनी बात का जवाब “,
शुरुआत हमको ऐसे ही करनी होगी ……आम आदमी से ज़रा हटके ……… कुछ समझे जनाब !!
मैं अपनी कलम को चलाने लगी ,
देने को एक सन्देश नया ,
उन्हें अपने सन्देश से लुभाने लगी ,
मैंने कहा ,” सुनो मेरे देशवासियों ,अब सुनो अपनी बात का जवाब “,
शुरुआत हमको ऐसे ही करनी होगी ……आम आदमी से ज़रा हटके ……… कुछ समझे जनाब !!
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