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Friday, May 29, 2015

Will-Power Makes Us Strong



This Hindi love poem highlights the will power of an Indian wife who crushed Her desires in front of His husband wishes and makes Herself strong internally through Her strong will-Power.
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Hindi Love Poem – Will-Power Makes Us Strong
मैंने आज सुबह उन्हें बुलाया ………
बोली  ……… आओ ना ,कल रात मुझे एक बड़ा जी अजीब सपना आया ,
जिसमे मैं उत्तेजित थी सारी रात ,
कहने को तुमसे कुछ नयी बात ।
वो सुनकर मुस्कुरा दिए और बोले ,
अब सुबह-सुबह कैसे हम दोनों भला  …… फिर से बिस्तर पर यूँ सो लें ?
अभी समय नहीं है मेरे पास  …… तुम्हारी अगन बुझाने का ,
शाम को सोचूँगा   ……कि आज जल्दी घर है जाने का ।
मैं सुनकर उनकी बात  …… एक पल में उदास हो गयी ,
अपने अंदर दबे अरमानों को  …… असुओं से भिगो गयी ,
सोचने लगी ख्यालों में  …… कि गर सपना तुम्हे आया होता ऐसा ,
तो मुझे नहीं मिलता समय कभी भी     ………. शाम तक सोचने को ऐसा ।
मर्द और औरत के रिश्तों में  …… आ जाते हैं खटास अक्सर ऐसे ही ,
जब औरत के उत्तेजित क्षणों को  …… मर्द देता नहीं एहमियत बिलकुल भी ,
उस समय औरत मन मसोस कर  ……… हो जाती है उदास ,
और फिर कभी भी ना कोशिश करती है   ……बुलाने को उसे अपने पास ।
जैसे-तैसे शाम बीती ……. और रात्रि का पहर गरमा गया ,
बिस्तर का करते हुए इंतज़ार  ……. मुझे और भी पसीना आ गया ,
मैं पहुँच कर उनके पास बोली    …… क्या तुम्हे सुबह का वादा याद है ?
देखो मेरे सपनों में  …… अब भी तुम्हारी ही फ़रियाद है ।
सुनकर वो मुस्कुरा दिए और बोले  ……आज काम बहुत ही ज्यादा था ,
दिन भर की थकान से   ……अब बदन हुआ उनका आधा था ,
बोले ,सो जाओ तुम भी आज दिलबर  …… कल सुबह प्रेम की नई शुरुआत करेंगे ,
जो सपने तुम्हारे रह गए हैं अधूरे  …… उनको पूरा दोनों साथ करेंगे ।
वो सो गए आँखें मूँद कर अपनी  …… मैं बहुत देर तक जगती रही ,
उस विरह की अग्नि में  …… अपने मन का मंथन करती रही ,
बहुत देर तक करने पर विचार    ……मैंने निष्कर्ष ये निकाला मेरे यार ,
कि इच्छायों को जिसने होता है मारा   ……वही जीत पाता है ये भ्रमित संसार ।
सुबह वो मेरे साथ जगे  …… बोले ,आयो अब मेरी प्रिय ,
देखो घड़ी मिलन की है आई  ………. मत कहना अब कि तुम हो पराई ,
मैं मुस्कुरा दी सुनकर उनकी बात  ……  बोली ,क्या इच्छा रखते हो अब मेरे साथ ?
मेरा धर्म है उसको निभाना  ………….तुम्हारे सपनो में खो जाना ।
आज का दिन बड़ा ही मधुर है  ………. जो मेरी तृष्णाओं से बिलकुल परे है ,
सपनों की वो झूठी नगरी …… अब सपना बनकर ही सपने में खड़ी है ,
मैं भूल गयी थी पल भर को  ………कि वक़्त नहीं था तब तुम्हारे पास ,
अब वक़्त मिला है जो जीने का  ……… तो उस पर करके विचार क्यूँ होऊँ मैं उदास ?

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