This Hindi poem highlights the most critical situation when a person curses His fate for those things that they didn’t get from His Life . But He bade Thanks for all those things that he didn’t get and compare the reasons behind this.
आज हमने फिर से ……ये महसूस किया ,
जो नहीं मिला ……उसका अब है शुक्रिया ,
जो मिला है ……उसकी कद्र हम करते चलें ,
जो खो गया ……उसका दम भला अब क्यूँ भरें ?
जो नहीं मिला ……उसका अब है शुक्रिया ,
जो मिला है ……उसकी कद्र हम करते चलें ,
जो खो गया ……उसका दम भला अब क्यूँ भरें ?
वक़्त होता नहीं मेहरबाँ ……हर कदम पर सफ़र के ,
फिर क्यूँ हों ये सोच कर परेशां ……कि खो दिए पल जीवन के ,
जब मेहरबानी वक़्त की ……हाथ अपने आएगी ,
तब क़ैद करके उसको ……ये ज़िंदगी भी मुस्कुराएगी ।
फिर क्यूँ हों ये सोच कर परेशां ……कि खो दिए पल जीवन के ,
जब मेहरबानी वक़्त की ……हाथ अपने आएगी ,
तब क़ैद करके उसको ……ये ज़िंदगी भी मुस्कुराएगी ।
क्या हुआ जो नहीं मिला वो ……जिसकी आरज़ू की थी ,
पर जो मिला है अब ……तो उसकी ही बंदगी कर लो ,
फैसले उस वक़्त के ……थे बहुत कठिन बड़े ही ,
पर उस वक़्त के फैसलों को ……अब तुम सलाम कर लो ।
पर जो मिला है अब ……तो उसकी ही बंदगी कर लो ,
फैसले उस वक़्त के ……थे बहुत कठिन बड़े ही ,
पर उस वक़्त के फैसलों को ……अब तुम सलाम कर लो ।
जो नहीं मिला मुझे ……वो थी नहीं मेरी किस्मत ,
पर जो मिल गया अब ……उसी से जुड़ी है मेरी फितरत ,
मैं उस फ़ितरतों की ……मेहरबानी का मोहताज़ सही ,
पर जो मिल गया है आज ……उसका शहंशाह हूँ अभी ।
पर जो मिल गया अब ……उसी से जुड़ी है मेरी फितरत ,
मैं उस फ़ितरतों की ……मेहरबानी का मोहताज़ सही ,
पर जो मिल गया है आज ……उसका शहंशाह हूँ अभी ।
बहुत कम लोग अक्सर ……ये जान पाते हैं ,
कि जो नहीं मिलते ……वही लम्हे हमें ललचाते हैं ,
मगर लालच से ही जुड़ी हुई है ……गर ये उम्मीद अपनी ,
तो फिर लिख ना पाएँगे हम ……कभी भी तक़दीर अपनी ।
कि जो नहीं मिलते ……वही लम्हे हमें ललचाते हैं ,
मगर लालच से ही जुड़ी हुई है ……गर ये उम्मीद अपनी ,
तो फिर लिख ना पाएँगे हम ……कभी भी तक़दीर अपनी ।
ना मिलना भी कुछ ……इंसान की कमज़ोरी को दर्शाता है ,
कि वो तब एकाग्रता की कमी से ……खुद को झुठलाता था ,
मगर अब जान कर अपनी इस कमी को ……उसने एक कसम धर ली ,
कि जो नहीं मिला है अब तक ……उसको पाने की उम्मीद दिल में रख ली ।
कि वो तब एकाग्रता की कमी से ……खुद को झुठलाता था ,
मगर अब जान कर अपनी इस कमी को ……उसने एक कसम धर ली ,
कि जो नहीं मिला है अब तक ……उसको पाने की उम्मीद दिल में रख ली ।
और तब पा गया ……वो अपने दिल की धड़कनो को ,
उन सदियों से खोई ……मन में बसी तर्पण को ,
क्या हुआ जो नहीं मिला था पहले ……वो जो कभी खो गया था ,
पर अब गर मिला है जो ……उसका है फिर से शुक्रिया ।
उन सदियों से खोई ……मन में बसी तर्पण को ,
क्या हुआ जो नहीं मिला था पहले ……वो जो कभी खो गया था ,
पर अब गर मिला है जो ……उसका है फिर से शुक्रिया ।
आज हमने फिर से ……ये महसूस किया ,
जो नहीं मिला ……उसका अब है शुक्रिया ,
जो मिला है ……उसकी कद्र हम करते चलें ,
जो खो गया ……उसका दम भला अब क्यूँ भरें ?
जो नहीं मिला ……उसका अब है शुक्रिया ,
जो मिला है ……उसकी कद्र हम करते चलें ,
जो खो गया ……उसका दम भला अब क्यूँ भरें ?
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