This Hindi poem Highlights the present situation of a busy couple in which they didn’t get the time to spend with each other.Later the poetess thanx the time too as time is playing the role of their guardian to avoid the intimacy between them.
वक़्त की फिर कमी है ……..तेरा साथ निभाने को ,
वक़्त की फिर कमी है ……..तेरे साथ में गाने को ,
वक़्त बेरहम मुसाफिर ……..अपने साथ ले चला है ,
वक़्त की फिर कमी है …….. तुझसे दिल मिलाने को ।
वक़्त की फिर कमी है ……..तेरे साथ में गाने को ,
वक़्त बेरहम मुसाफिर ……..अपने साथ ले चला है ,
वक़्त की फिर कमी है …….. तुझसे दिल मिलाने को ।
मजबूर है मोहब्बत ……मजबूर ये सफ़र है ,
दोनों के दरमियान ……….अब इस वक़्त का खंज़र है ,
ये इस युग की है मोहब्बत ………जिसमे वक़्त है शहंशाह ,
वक़्त की फिर कमी है ……..तुझसे नैन मिलाने को ।
दोनों के दरमियान ……….अब इस वक़्त का खंज़र है ,
ये इस युग की है मोहब्बत ………जिसमे वक़्त है शहंशाह ,
वक़्त की फिर कमी है ……..तुझसे नैन मिलाने को ।
दिल मचल-मचल के कहता ………जाओ उसके करीब तुम ,
वक़्त बाँध के धागे से कहता …..मेरे पास आओ तुम ,
अभी करने है बहुत काम बाकी ……….फिर क्यूँ चले हो मिलने ,
वक़्त की फिर कमी है ……..तेरा साथ पाने को ।
वक़्त बाँध के धागे से कहता …..मेरे पास आओ तुम ,
अभी करने है बहुत काम बाकी ……….फिर क्यूँ चले हो मिलने ,
वक़्त की फिर कमी है ……..तेरा साथ पाने को ।
मेरी भोली सी मोहब्बत के आगे ……..ये वक़्त आड़े आये ,
मेरे उड़ते हुए अरमान ……अपने साथ बाँध ले जाए ,
कैसे छोड़ दूँ मैं बोलो …….इन कर्मो से बँधी रेखा ?
वक़्त की फिर कमी है ……..तेरे साँसों की महक पाने को ।
मेरे उड़ते हुए अरमान ……अपने साथ बाँध ले जाए ,
कैसे छोड़ दूँ मैं बोलो …….इन कर्मो से बँधी रेखा ?
वक़्त की फिर कमी है ……..तेरे साँसों की महक पाने को ।
वक़्त रोज़ देता ये सीख ………पहले फ़र्ज़ अपना निभायो ,
फिर वक़्त जब मिले तब …….उसके संग की चाहत लायो ,
जब वक़्त मुझको मिलता …..तब तुझे अपने साथ वो ले जाता ,
वक़्त की फिर कमी है ……..तुझे हाल~ए~ दिल अपना सुनाने को ।
फिर वक़्त जब मिले तब …….उसके संग की चाहत लायो ,
जब वक़्त मुझको मिलता …..तब तुझे अपने साथ वो ले जाता ,
वक़्त की फिर कमी है ……..तुझे हाल~ए~ दिल अपना सुनाने को ।
तुम समझते हो यारा …..इस वक़्त की कीमत को ,
हम पूजते हैं रोज़ ……..इस वक़्त की किस्मत को ,
क्या हुआ जो ये वक़्त हमपर …….इस तरह हावी हो जाए ,
वक़्त की फिर कमी है ……..तेरे आगोश में आने को ।
हम पूजते हैं रोज़ ……..इस वक़्त की किस्मत को ,
क्या हुआ जो ये वक़्त हमपर …….इस तरह हावी हो जाए ,
वक़्त की फिर कमी है ……..तेरे आगोश में आने को ।
ये वक़्त ना होता अगर …….तो हम-तुम बेबाक से हो जाते ,
अपनी चाहतों के आगे …….खुद को क़ुर्बान यूँ कर जाते ,
अच्छा हुआ जो इस वक़्त ने ……बाँध रखी हैं अपनी सीमाएँ ,
वक़्त की फिर कमी है ……..अपने होश खो जाने को ।
अपनी चाहतों के आगे …….खुद को क़ुर्बान यूँ कर जाते ,
अच्छा हुआ जो इस वक़्त ने ……बाँध रखी हैं अपनी सीमाएँ ,
वक़्त की फिर कमी है ……..अपने होश खो जाने को ।
वक़्त अदृश्य एक पहरेदार ……..बन के हमारा ,
लेता इम्तिहान ……..हमारे सब्र का सारा ,
हम वक़्त को सलाम करके ……….उससे पूछते हैं यूँही ,
कि तेरी इतनी क्यूँ कमी है ……..उसके संग एक हो जाने को ॥
लेता इम्तिहान ……..हमारे सब्र का सारा ,
हम वक़्त को सलाम करके ……….उससे पूछते हैं यूँही ,
कि तेरी इतनी क्यूँ कमी है ……..उसके संग एक हो जाने को ॥
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