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Friday, May 29, 2015

Attraction




This Hindi poem highlights the mental state of beloved in which she was asking with his Lover about the reason of being so attractive for Her.
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Love Hindi Poem – Attraction
तेरे अंदर ज़माने भर की ……. एक कशिश सी क्यूँ है ?
ना जाने क्या है तेरे अंदर ……. जो लगता मुझे हसीं है ।
हर बार ये दिल तेरे आगे एक हूक सी भरे ,
कुछ ना कह कर भी सब कुछ तुझे समर्पित करे ,
तेरे अंदर सवालों की ……. एक नमी सी क्यूँ है ?
ना जाने क्या है तेरे अंदर ……. जो लगता मुझे हसीं है ।
तूने ये इश्क़ सिखाया मुझे तो क्या बुरा किया ,
पर इस इश्क़ को निभाने की सूरत क्यूँ इतनी बुरी है ?
तेरे अंदर खुमारी की ……. एक चमक सी क्यूँ है ?
ना जाने क्या है तेरे अंदर ……. जो लगता मुझे हसीं है ।
हर बार इस दिल को तेरे साथ हम भी सम्भाला करते हैं ,
और अपने दिल में हज़ारों राज़ के घरों को दफनाया करते हैं ,
तेरे अंदर समाने की ……. एक ललक सी क्यूँ है ?
ना जाने क्या है तेरे अंदर ……. जो लगता मुझे हसीं है ।
तूने बना कर एक किताब हमें बोलो भला पढ़ा क्यूँ ?
हम बनके उस किताब के पन्ने भला जले क्यूँ?
तेरे अंदर हर हर्फ़ को समझने की ……. एक तलब सी क्यूँ है ?
ना जाने क्या है तेरे अंदर ……. जो लगता मुझे हसीं है ।
मैं तेरे साथ ना जाने कितनी बार अपने आँसुओं को गिना करती हूँ ,
ये कैसी मज़बूरी है बता जिसके साथ जिया करती हूँ ,
तेरे अंदर मुझे हँसाने की ……. एक दमक सी क्यूँ है ?
ना जाने क्या है तेरे अंदर ……. जो लगता मुझे हसीं है ।
तुमने जब भी मुझे कहा कि बताऊँ मैं तुझे अपने दिल का फ़साना ,
मैं हर शब्द को लपेट कर बनाती रही रोज़ एक बहाना ,
तेरे अंदर हर बहाने को परखने की ……. एक वजह सी क्यूँ है ?
ना जाने क्या है तेरे अंदर ……. जो लगता मुझे हसीं है ।
मैं तेरे इश्क़ की खादिम बन बैठी देख किसी रोज़ यूँही ,
तूने फिर भी न समेटा बढ़कर मेरे अरमानो को निर्मोही ,
तेरे अंदर मेरे अधूरेपन की ……. एक दवा सी क्यूँ है ?
ना जाने क्या है तेरे अंदर ……. जो लगता मुझे हसीं है ।
तेरे अंदर ज़माने भर की ……. एक कशिश सी क्यूँ है ?
ना जाने क्या है तेरे अंदर ……. जो लगता मुझे हसीं है ।

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