This Hindi poem
highlights the reason behind a female writer to write as she feels
creative when someone goes through with her contents and this is the
best way for her to express those thoughts which remained silent.
कोई पढ़ता है जब ख्यालों को मेरे ,
फिर क्यूँ ना लिखूँ खुल कर मैं आज ,
जिस दिन वो पढ़ना छोड़ देगा ,
उस दिन कलम में भी ना होगी आवाज़ ।
कोई समझता है जब ज़ज्बातों को मेरे ,
फिर क्यूँ ना कहूँ उससे अपने दिल का राज़ ,
जिस दिन वो समझना छोड़ देगा ,
उस दिन दफ्न होगा सीने में दबा ये राज़ ।
कोई पिघलता है जब रातों में संग मेरे ,
फिर क्यूँ ना बनाऊँ उसे अपना हमराज़ ,
जिस दिन वो पिघलना छोड़ देगा ,
उस दिन जम जाएगा ये पिघला सा ताज ।
कोई उतरता है जब दिल की गहराई में मेरे ,
फिर क्यूँ ना मैं डूबूँ उसके संग उसे बना जांबांज ,
जिस दिन वो उतरना छोड़ देगा ,
उस दिन डूब जाएगा मेरे सपनो का जहाज़ ।
कोई आना चाहता है जब बहुत करीब मेरे ,
फिर क्यूँ ना छोड़ दूं मैं भी अपनी लाज ,
जिस दिन वो आना छोड़ देगा ,
उस दिन रहेगा ना ये कल और आज ।
कोई तकना चाहता है जब हुस्न को मेरे ,
फिर क्यूँ उठाऊँ अपने यौवन पर मैं ऐतराज़ ,
जिस दिन वो तकना छोड़ देगा ,
उस दिन बजेगा ना इस यौवन पर कोई साज़ ।
कोई रहना चाहता है जब उम्र भर संग मेरे ,
फिर क्यूँ ना होगा मुझ खुद पर नाज़ ,
जिस दिन वो रहना छोड़ देगा ,
उस दिन गिरेगी मेरे सपनो के आशिएँ पर गाज़ ।
कोई पढ़ता है जब ख्यालों को मेरे ,
तो मुझमे लिखने की सुलगती है एक आग ,
अच्छा-बुरा जैसा भी मैं लिखती ,
बस होती है उसमे कुछ उसकी ही बात ।
तुम “कोई” ही सही बस मेरे हो यारा ,
मैंने लिखना सीखा पाकर तेरा ही साथ ,
जो बाकी रह जाता है कहने को …..ख्यालों में अक्सर ,
उसे लिख देती हूँ यहाँ ….बना अपने गहरे ज़ज्बात ॥
कोई पढ़ता है जब ख्यालों को मेरे ,
फिर क्यूँ ना लिखूँ खुल कर मैं आज ,
जिस दिन वो पढ़ना छोड़ देगा ,
उस दिन कलम में भी ना होगी आवाज़ ।
कोई समझता है जब ज़ज्बातों को मेरे ,
फिर क्यूँ ना कहूँ उससे अपने दिल का राज़ ,
जिस दिन वो समझना छोड़ देगा ,
उस दिन दफ्न होगा सीने में दबा ये राज़ ।
कोई पिघलता है जब रातों में संग मेरे ,
फिर क्यूँ ना बनाऊँ उसे अपना हमराज़ ,
जिस दिन वो पिघलना छोड़ देगा ,
उस दिन जम जाएगा ये पिघला सा ताज ।
कोई उतरता है जब दिल की गहराई में मेरे ,
फिर क्यूँ ना मैं डूबूँ उसके संग उसे बना जांबांज ,
जिस दिन वो उतरना छोड़ देगा ,
उस दिन डूब जाएगा मेरे सपनो का जहाज़ ।
कोई आना चाहता है जब बहुत करीब मेरे ,
फिर क्यूँ ना छोड़ दूं मैं भी अपनी लाज ,
जिस दिन वो आना छोड़ देगा ,
उस दिन रहेगा ना ये कल और आज ।
कोई तकना चाहता है जब हुस्न को मेरे ,
फिर क्यूँ उठाऊँ अपने यौवन पर मैं ऐतराज़ ,
जिस दिन वो तकना छोड़ देगा ,
उस दिन बजेगा ना इस यौवन पर कोई साज़ ।
कोई रहना चाहता है जब उम्र भर संग मेरे ,
फिर क्यूँ ना होगा मुझ खुद पर नाज़ ,
जिस दिन वो रहना छोड़ देगा ,
उस दिन गिरेगी मेरे सपनो के आशिएँ पर गाज़ ।
कोई पढ़ता है जब ख्यालों को मेरे ,
तो मुझमे लिखने की सुलगती है एक आग ,
अच्छा-बुरा जैसा भी मैं लिखती ,
बस होती है उसमे कुछ उसकी ही बात ।
तुम “कोई” ही सही बस मेरे हो यारा ,
मैंने लिखना सीखा पाकर तेरा ही साथ ,
जो बाकी रह जाता है कहने को …..ख्यालों में अक्सर ,
उसे लिख देती हूँ यहाँ ….बना अपने गहरे ज़ज्बात ॥
For You Only-
Though some thoughts are deep……….Yet they are expressive,
Which ignite something……..more intensive.
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