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Friday, May 1, 2015

Deep Thoughts

This Hindi poem highlights the reason behind a female writer to write as she feels creative when someone goes through with her contents and this is the best way for her to express those thoughts which remained silent.

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Hindi Poem on Writing – Deep Thoughts

कोई पढ़ता है जब ख्यालों को मेरे ,
फिर क्यूँ ना लिखूँ खुल कर मैं आज ,
जिस दिन वो पढ़ना छोड़ देगा ,
उस दिन कलम में भी ना होगी आवाज़ ।

कोई समझता है जब ज़ज्बातों को मेरे ,
फिर क्यूँ ना कहूँ उससे अपने दिल का राज़ ,
जिस दिन वो समझना छोड़ देगा ,
उस दिन दफ्न होगा सीने में दबा ये राज़ ।

कोई पिघलता है जब रातों में संग मेरे ,
फिर क्यूँ ना बनाऊँ उसे अपना हमराज़ ,
जिस दिन वो पिघलना छोड़ देगा ,
उस दिन जम जाएगा ये पिघला सा ताज ।

कोई उतरता है जब दिल की गहराई में मेरे ,
फिर क्यूँ ना मैं डूबूँ उसके संग उसे बना जांबांज ,
जिस दिन वो उतरना छोड़ देगा ,
उस दिन डूब जाएगा मेरे सपनो का जहाज़ ।

कोई आना चाहता है जब बहुत करीब मेरे ,
फिर क्यूँ ना छोड़ दूं मैं भी अपनी लाज ,
जिस दिन वो आना छोड़ देगा ,
उस दिन रहेगा ना ये कल और आज ।

कोई तकना चाहता है जब हुस्न को मेरे ,
फिर क्यूँ उठाऊँ अपने यौवन पर मैं ऐतराज़ ,
जिस दिन वो तकना छोड़ देगा ,
उस दिन बजेगा ना इस यौवन पर कोई साज़ ।

कोई रहना चाहता है जब उम्र भर संग मेरे ,
फिर क्यूँ ना होगा मुझ खुद पर नाज़ ,
जिस दिन वो रहना छोड़ देगा ,
उस दिन गिरेगी मेरे सपनो के आशिएँ पर गाज़ ।

कोई पढ़ता है जब ख्यालों को मेरे ,
तो मुझमे लिखने की सुलगती है एक आग ,
अच्छा-बुरा जैसा भी मैं लिखती ,
बस होती है उसमे कुछ उसकी ही बात ।

तुम “कोई” ही सही बस मेरे हो यारा ,
मैंने लिखना सीखा पाकर तेरा ही साथ ,
जो बाकी रह जाता है कहने को …..ख्यालों में अक्सर ,
उसे लिख देती हूँ यहाँ ….बना अपने गहरे ज़ज्बात ॥

For You Only-
Though some thoughts are deep……….Yet they are expressive,
Which ignite something……..more intensive.

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