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Friday, March 6, 2015

Wo Kahein……..Hum Kahein

In this Hindi poem a husband forces her wife to accept drink at the mating night but the wife wins by her clever tricks

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Hindi Poem – Wo Kahein……..Hum Kahein

वो कहें हमें ….”पी” ले ज़रा सी …….रात को जवान होने दे ,
हम कहें …..हम डरते खुदा से ….ना हमको बदनाम होने दे ।

वो कहें ……तुझे वास्ता है ……देख मेरी मोहब्बत का ,
हम कहें ….हर वास्ते पे …..हमें यूँही कुर्बान होने दे ।

वो कहें …….दो घूँट तुझको …….देख जवान और करेगी ,
हम कहें ……ऐसी जवानी के सबब में ……ना दिल~ए~ अरमान खोने दे ।

वो कहें …..हमें साथ तेरा …….दो घूँट में अच्छा लगे ,
हम कहें ….दो घूँट के बिन ही ……हम तुझे अपना कहें ।

वो कहें ….तू जो पी लेगी आज ……तो तुझ पर निसार ये दिल करूँ ,
हम कहें ……अपने दिल को सँभालो …….इसे यूँ ना आम होने दे ।

वो कहें ……इसे दवा समझ …….हाल~ए~दिल तू इश्क की ,
हम कहें ……ऐसी दवा को …….ना हम पर हावी होने दे ।

वो कहें ……मैं तेरा साहिब …….तू मेरी गुलाम ये समझ ,
हम कहें ……इसी गुलामी में ही …….हमें कत्ल~ए~आम होने दे ।

वो कहें ……कर मुझ पर भरोसा ……मैं तुझे गिरने से सँभालूंगा ,
हम कहें …….तुम खुद को सँभालो ……हमें मत लड़खड़ा कर गिरने दे ।

वो कहें …….तुझे “पीर” का वास्ता ……आज नशे में झूम जा ,
हम कहें …….उस “पीर” के सदके …….हमें उसकी पनाह में खोने दे ।

वो कहें ……मत आज तू …..मेरी बात को नकार यूँ ,
हम कहें ……मत जिद कर इतना …..हमें अपनी निगाह में ना “गुनाहगार” होने दे ।

वो कहें …..जाओ तुम यहाँ से …..वो यारी ही क्या ……जो नकार दे मोहब्बत ,
हम कहें …..ये यारी नहीं …..जो अपनी तरह से भी …..ना रोने दे ।

वो कहें …….हम हार गए …….देख तेरी जिद के तले ,
हम कहें ……ये जिद नहीं …..बस एक सज़ा है ……जिसमे हमको न तू डूबने दे ।

वो कहें …….जा हमने भी छोड़ी ……..आज से तेरे लिए ,
हम कहें ……..बाहों में आजा …..मत रात को यूँ खोने दे ॥

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