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Wednesday, March 4, 2015

Stop A While – Before “Migration”



Little Robin Bird
Hindi Poem – Stop A WhileBeforeMigration

शहरों की ओर भागते ……ये “देहाती” मेहमान ,
कुछ वर्षों में ही भर देते हैं …..यहाँ की शमशान ।

जिस रोज़ी -रोटी को पाने की खातिर ,उन्होंने किया था पलायन ……
उसी की आग में झुलस गए ,न जाने कितने निर्दोष तन ?

ये यू .पी ,बिहार ,गढ़वाल का रेला ……
बसता ही चला गया ,हर कोने में अकेला ।

शहरी चमक ने उसे …..कर दिया इतना पागल ,
कि भूखे पेट भी सोना मंजूर ,ओढ़े आकाश और बादल ।

काम करना कोई सीखा नहीं ,बन बैठे अब Driver….
Traffic Rules” का पता नहीं ,सरपट दौड़ाते Four Wheeler .

न खुद की जान प्यारी,न औरों के घर का ख़याल ….
रोज़ बिखेरते हैं सड़क पर ,खून से भरी होली का गुलाल ।

जब नौकरी से हाथ धो बैठे ,तो करने लगे कुकर्म …..
लूट-पाट से पेट अपना भर ,उड़ाया मासूमों को कफ़न ।

जाने की “शहर ” से सोचेंगे ,अब कभी भी नहीं …..
शहर तो शहर है ……..ऐसी सोच उनके मन में घर करी ।

खुद सलाखों के हैं पीछे ,परिवार उनका मर रहा …..
धीरे -धीरे देखो फिर से ,उनकी अर्थियों का नंबर बढ़ रहा ।

क्या मिला …. सोचो ज़रा ,यूँ शहरों में अपनी संख्या बढ़ाकर ?
गर सोचा होता “महंगाई” का पहले, तो कभी न आते यूँ गाँव छोड़कर ।

गाँवों में भी बसते हैं ,सच्चे दिल के इंसान ….
फिर क्यों चले आते हैं हम शहरों में ….. बनके  “बिन बुलाये” मेहमान ?

राज्यों की सरकार यदि चाहे ,तो इस पलायनता को रोक सकती है ……
शहर में हो रही गुंडागर्दी और भीड़ पर ,Control कर सकती है ।

गाँवों के निवासियों को “पलायनता” से पहले, यदि सचेत किया जाएगा …..
तो वो अपने साथ …. न जाने कितने परिवारों को,मरने से बचा पायेगा।

A Message To Them-
Migration from Towns to cities is not a profitable one for An illiterate Person,
As in Towns He is alone to die but in Cities he will responsible for Others too to Die.

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