This Hindi poem highlights the carelessness of the youngsters in which they used their earphone on the roads and met with an accident due to that.
हाथों में थामकर ……..नए Mobile की शान ,
चल दिए सड़क पर …….सुनने किसी फ़िल्मी धुन का गान ।
अपनी ही मस्ती में डूबे …….कानों में लीड को ठूंसे ,
चल रहे बीच सड़क पर ……इस नयी पीढ़ी के युवा तमाम ।
गानों की मस्ती ऐसी झूमी ……तनमन में एक बेचैनी घूमी ,
शोर न उनको दिया सुनाई …..बीच सड़क पर जब ब्रेक लगाई ।
अपनी मस्ती में डूबे दीवाने …..अलगाव हुए परिवारों के सयाने ,
अपना दिल वो ऐसे बहलाते …….खुद ही खुद में …..यूँ खो जाते ।
जान अपनी दाँव पर लगाकर …. थोड़ी देर की खुशियाँ पाकर ,
ना सिर्फ वो ट्रैफिक को भ्रमित करते ….बल्कि नई तकनीक की भर्त्सना रचते ।
विज्ञान जिसे लाया एक आविष्कार बनाकर ……कर दिया उसे अब एक अभिशाप दिखाकर ,
हर पाँच में से दो के लिए जब ……करना पड़ा अंतिम संस्कार …..शमशान में जाकर ।
पीछे छूट गए अब उनके परिवार वाले ……जो रो रहे अब अपनी किस्मत को हारे ,
सोच रहे बड़ी गूढता से… कि क्यों Mobile किया उनके हवाले ?
पहले भी होते थे यही युवा …..जो बिन Gadget के चले सदा ,
अपना सीना ऐसे ताने …….. जैसे तूफानों में सैनिक दीवाने ।
पर अब तो जैसे इन सबके बिना ……युवा हैं बिन कपड़ो के बिना ,
Mobile की ऐसी लत है उनको लागी ……कि बच्चा-बच्चा अब जाता है …..Mobile संग लेने भाजी ।
पर इसका सही उपयोग ….. करना है हम सभी को,
रास्ते में मत उठाओ उसे …..जब भी बजे वो कुछ कहने को ।
अपनी इन्द्रियों को अपनी इच्छायों पर ……कभी हावी न होने देना ,
क्योंकि इच्छाएँ गर ख्वाब हैं …..तो इन्द्रियाँ को उन ख़्वाबों की …..सच्चाई समझ लेना ।
और जहाँ सच्चाई साथ चलेगी …..वहाँ सपने तंग से होंगे
मगर उन सपनो में ……खुशियों के रंग ही होंगे ।
ये सन्देश है उन सभी के लिए …..जो सड़क पर Mobile का उपयोग करते हैं ,
कुछ कहने ….कुछ सुनने की खातिर …..अपनी जान को हाज़िर करते हैं ।
सोचो…. समझो …..करो विचार ……बात पते की ये है मेरे यार ,
मस्ती हो गर सोच समझ कर ….तो हर मस्ती होती स्वीकार ॥
हाथों में थामकर ……..नए Mobile की शान ,
चल दिए सड़क पर …….सुनने किसी फ़िल्मी धुन का गान ।
अपनी ही मस्ती में डूबे …….कानों में लीड को ठूंसे ,
चल रहे बीच सड़क पर ……इस नयी पीढ़ी के युवा तमाम ।
गानों की मस्ती ऐसी झूमी ……तनमन में एक बेचैनी घूमी ,
शोर न उनको दिया सुनाई …..बीच सड़क पर जब ब्रेक लगाई ।
अपनी मस्ती में डूबे दीवाने …..अलगाव हुए परिवारों के सयाने ,
अपना दिल वो ऐसे बहलाते …….खुद ही खुद में …..यूँ खो जाते ।
जान अपनी दाँव पर लगाकर …. थोड़ी देर की खुशियाँ पाकर ,
ना सिर्फ वो ट्रैफिक को भ्रमित करते ….बल्कि नई तकनीक की भर्त्सना रचते ।
विज्ञान जिसे लाया एक आविष्कार बनाकर ……कर दिया उसे अब एक अभिशाप दिखाकर ,
हर पाँच में से दो के लिए जब ……करना पड़ा अंतिम संस्कार …..शमशान में जाकर ।
पीछे छूट गए अब उनके परिवार वाले ……जो रो रहे अब अपनी किस्मत को हारे ,
सोच रहे बड़ी गूढता से… कि क्यों Mobile किया उनके हवाले ?
पहले भी होते थे यही युवा …..जो बिन Gadget के चले सदा ,
अपना सीना ऐसे ताने …….. जैसे तूफानों में सैनिक दीवाने ।
पर अब तो जैसे इन सबके बिना ……युवा हैं बिन कपड़ो के बिना ,
Mobile की ऐसी लत है उनको लागी ……कि बच्चा-बच्चा अब जाता है …..Mobile संग लेने भाजी ।
पर इसका सही उपयोग ….. करना है हम सभी को,
रास्ते में मत उठाओ उसे …..जब भी बजे वो कुछ कहने को ।
अपनी इन्द्रियों को अपनी इच्छायों पर ……कभी हावी न होने देना ,
क्योंकि इच्छाएँ गर ख्वाब हैं …..तो इन्द्रियाँ को उन ख़्वाबों की …..सच्चाई समझ लेना ।
और जहाँ सच्चाई साथ चलेगी …..वहाँ सपने तंग से होंगे
मगर उन सपनो में ……खुशियों के रंग ही होंगे ।
ये सन्देश है उन सभी के लिए …..जो सड़क पर Mobile का उपयोग करते हैं ,
कुछ कहने ….कुछ सुनने की खातिर …..अपनी जान को हाज़िर करते हैं ।
सोचो…. समझो …..करो विचार ……बात पते की ये है मेरे यार ,
मस्ती हो गर सोच समझ कर ….तो हर मस्ती होती स्वीकार ॥
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