बिकती नहीं मैं ……… चंद सिक्कों की खातिर,
लिखती नहीं मैं ……राजनीति में अपनी पहचान बनाने की खातिर ।
अरमां नहीं ये ……की कोई मेरी सोच को गले लगाए ,
अरमां है कि …..मुझे पढ़ कर मेरी सोच में छिपे हरे सवाल को ढूंढ लाये ।
हालातों से लड़कर ………हालातों को समझना आ गया ,
मुफलिसी में ही सही ………कुछ तो हमें भी लिखना आ गया ।
कहने को तो …….. लफ़्ज़ों की उम्र बहुत छोटी होती है ,
मगर हर लफ्ज़ में ढूंढो तो ,एक नयी सीख छिपी होती है ।
यूँही नहीं पैदा हुए थे शायर ,कवि ,कथाकार इतिहास में ,
कुछ था ……जो रह जाता था अधूरा, उनके हर एक ज़ज्बात में ।
क्यूँ नयी पीढ़ी ने ………लिखने से नाता अब तोड़ दिया है?
अपने मन में चल रहे अंतर्द्वंदों को, मन में ही तड़पने को छोड़ दिया है ।
MCQ ‘s बन गए हैं अब ,हर इम्तिहान का एक “Character “,
बस “Tick ” करते चलो ,जब तक न मिल जाए उसका उचित “Answer “।
MCQ ‘s बना दिया है ……आज की युवा पीढ़ी को हमने,
“Tick ” करते-करते वो, भूल गए हर राह के “Experience ” अपने ।
लिखना किसी की शान को नहीं घटाता ………
बस लिखने से हमारे व्यक्तित्व में,एक और नया निखार आता ।
कागज़,कलम पकड़ कर जब हम ,घंटों अपनी सोच में समायेंगे ,
तभी तो नयी सोच से निकलकर ,नए कलाकार सामने आयेंगे ।
लिखता है वही …..जिसमे कुछ पाने की चाह होती है,
नहीं तो जिंदगी नासमझ बनकर ,किसी गंतव्य से परे होती है ।
आजकल विद्यालय में विद्यार्थी झूझ रहे हैं ……न लिखने की समस्याओं से ,
अधूरा परचा लिख कर दे देते हैं ……..अपनी अध्यापिकायों को बड़ी शान से ।
बेचारे अभिभावक रोज़ उन्हें नसीहतें देने का ……..प्रयतन किया करते हैं ,
उनके उज्जवल भविष्य को पूरा करने का ……..हर संभव प्रयास किया करते हैं ।
उन्ही विद्यार्थियों को अपनी सोच में उतार कर ……उनके लिए ये सन्देश लेकर आयी हूँ ,
कि लिखना भी जीवन की सार्थकता का एक अंग है ……इसलिए उसको जारी रखने का एक सिलसिला पूरा करने आयी हूँ ।।
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