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Wednesday, August 2, 2017

तुम बन गई हो "शराब " महफ़िल में

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तुम बन गई हो  "शराब " महफ़िल में ,
कौन कहता  है कि मैं नहीं तुम में  ?
तुम्हारी शोख सी भोली अदाएं  ,
जाम में घुल गई मदहोश करने  |

तुमने रंगीन बनाया मुझको  ,
हर चाहत में अपना रँग दिखाया मुझको  ,
मैं पी कर "शराब" झूम भी लूं  ,
तब भी तेरा अक्स समाया मुझमे  |

सबकी नज़रों से बचकर जाम अपना भरने लगे ,
हर घूँट में तेरा ही ज़िक्र करने लगे  ,
तुम ज़हर में भी दवा लगती हो  ,
तभी तुमको  "शराब " हमने कहा महफ़िल में  | 

तुम बन गई हो  "शराब " महफ़िल में ,
कौन कहता  है कि मैं नहीं तुम में  ?

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