तुम बन गई हो "शराब " महफ़िल में ,
कौन कहता है कि मैं नहीं तुम में ?
तुम्हारी शोख सी भोली अदाएं ,
जाम में घुल गई मदहोश करने |
तुमने रंगीन बनाया मुझको ,
हर चाहत में अपना रँग दिखाया मुझको ,
मैं पी कर "शराब" झूम भी लूं ,
तब भी तेरा अक्स समाया मुझमे |
सबकी नज़रों से बचकर जाम अपना भरने लगे ,
हर घूँट में तेरा ही ज़िक्र करने लगे ,
तुम ज़हर में भी दवा लगती हो ,
तभी तुमको "शराब " हमने कहा महफ़िल में |
तुम बन गई हो "शराब " महफ़िल में ,
कौन कहता है कि मैं नहीं तुम में ?
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