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Wednesday, August 2, 2017

याद आ रही है फिर से



याद आ रही है फिर से   .... अपनी दोस्ती की वो पहली मुलाक़ात  ,
जब यूँही किसी रात में  .... संग थे तुम मेरे साथ  ,
अनजान लोगों के  ...... नापाक इरादों से भरी हर बात ,
एक अच्छा सा साथ ....... जिसमे हर पल जान जाने का एहसास | 

हर रेस में निकलती थी   ..... तुम्हे हराने की एक ख्वाइश ,
मगर जीत कर अफ़सोस करती हुई ...... धडकनों  की फरमाइश  ,
मुश्किल ही होगा जहान में  ..... तुमसा और कोई पाना  ,
जिसे इतने करीब आने पर भी आता हो   ..... एक पल में सब भुलाना |


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