हम दोनो की जरूरत थी ,
कल रात ....
ये शारीरिक भूख |
तुम दे सकते हो ,
इसे प्यार का दूसरा नाम ,
शायद ऐसे ये ना हो बदनाम |
इसे हमने-तुमने नहीं बनाया ,
पर फिर भी ये तब काम आया ,
जब व्याकुल थे दो बदन |
जब रोक पाना था खुद को ,
नामुमकिन सा ....
तब मिलन हुआ हम दोनो का |
इसे क्यूँ दें फिर व्याभिचार का नाम ,
ऐसे तो ये हो जायेगा बदनाम ,
ये केवल एक भूख थी |
जो लगी .....
फिर मिटी ,
फिर तृप्त हुए दो बदन |
बस फर्क सिर्फ इतना था ,
कि ये ज़िसमानी थी ,
हाँ .... एक शारीरिक भूख ||
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