मेरे बचपने को भोलेपन का एक ताज़ पहना दिया ,
उसने मुझे "औरत" होने का एहसास दिला दिया |
मेरी तन्हाई को अपने साथ मिला एक महफ़िल बना दिया ,
उसने मुझे दुनिया की रंगीनियों का एक ख़्वाब दिखा दिया |
मेरी शर्म ~ ओ ~ हया के नक़ाब को उसने परिंदा बना दिया ,
उसने मुझे बे ~ हया होने का सबब सिखा दिया |
मेरे मचलते हुए अरमानों को बहने का एक ज़रिया दिखा दिया ,
उसने मुझे देखो नया प्रेम रोग लगा दिया |
शब्दों को शब्दों की जादूगरी से लड़ना सिखा दिया ,
उसने मुझे हर उम्र के अल्फ़ाज़ों को पढ़ना सिखा दिया |
आँखों की भाषा में भी होता है एक रंगीनी का सबब ,
उसने मुझे आँखों के नशे में डूबने का नशा चढ़ा दिया |
इश्क़ होता है क़ुरान का एक प्यारा सा कलमा पढ़ने को ,
उसने मुझे बाँध "निकाह" में उसे पढ़ना सिखा दिया ||
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