बहुत देर तक राह तकती रही ....... मैं सिर्फ तेरे आने की ,
ख्वाइशें ढकती रही ..... उन्हें तुम तक पहुंचाने की ,
इश्क़ नादानी में कभी-कभी .... ऐसी खता भी करेगा ,
तेरे मक़बूल की खातिर रजा है ... अब हर सज़ा पाने की |
तूने पीर की मुरीद ना की ....... इसका इल्म नहीं मुझको ,
तूने कफ्न को तवज्जो ना दी ..... बेपरवाह रखा मुझको ,
शिक़वे और गिले अक्सर ...... करते हैं नादान दिल ,
तेरी एक-एक अदा मिसाल है ..... जीने को मेरे क़ातिल |
लेंगे गर सात जनम ....... तो तुमसे हर जनम मिलने आएँगे ,
इस अधूरे ख्वाब को ....... एक नई मिसाल बनाकर जाएँगे ,
मिलते नहीं हैं ऐसे लोग ..... यूँ किसी इत्तिफाक से ,
क्या पता हमारा मिलना ....... सींचे लहू हर किताब से |
अनजान लोगों का अनजान फ़साना ...... बड़ा बेदर्द होता है ,
ना कोई रंग , ना कोई संग .... सिर्फ एक जल-तरंग होता है ,
बहुत पाक रखी है अब तक .... मैंने दिल से ली गई हर साँस को ,
फिर क्यूँ बेवजह याद आते हो तुम ....... मुझे हर आधी रात को ???
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