झरोखे बंद हो चुके हैं ....... बदलती हवाओं का रुख देखकर ,
वो शामियाने से गुज़र गए ...... मेरी चाहत का असर देखकर |
बंद होठों से कह रहे थे कि ....... उन्हें मुरीद है हमारी ,
हम मर-मिटे हैं उनकी ....... ऐसी चाहत को देख कर |
हज़ार बार दिल ये कहे कि ...... रोक लूँ उन्हें इशारे से ,
नक़ाब ढाँप लिया उन्होंने ...... हर इशारे को समझ कर |
दिल ~ ए ~ आरज़ू बेचैनी को ..... इतना बढ़ा रही थी ,
वो पसीने - पसीने हो गए ...... मेरी बेचैनी को देख कर |
हवाओं में फ़ैला हुआ था ..... उनके इत्र का ऐसा जादू ,
हम शामियाने से लिपट गए ....... उनके एहसासों की गर्मी सोचकर ||
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