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Sunday, June 12, 2016

हौसले चट्टानों के हो जिनके


























हौसले चट्टानों के हो जिनके  ........ उनको टूटने का इल्म नहीं होता ,
टूट कर बिखरते हैं वो  ....... जिनके हौसलों में दम नहीं होता ,
बात हौसले की करते हैं  ...... वो महफिलों में आकर ,
महफ़िलें ही दगाबाज़ हों  ......... तो कोई रंज नहीं होता ,
हौसले बुलंद करने की  ...... जब भी आवाज़ आई है ,
नाकामियों से ठोकर तब  ........ कामियाबों ने खाई है । 

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